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22122

लाचार हो क्या?

सरकार हो क्या?

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या?

छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?

बेचा है खुद को,

बाज़ार हो क्या?

तारीफ कर दूँ,

अशआर हो क्या?

खुद से ही बातें,

बीमार हो क्या?

*****************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 783

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:16pm

हार्दिक आभार आदरणीय नादिर खान  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:16pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:15pm

हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:15pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 10, 2014 at 5:35pm
बहुत बढ़िया

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या?


छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?



छोटी सी बह्र पर सुन्दर सी ग़ज़ल बधाई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Comment by MAHIMA SHREE on May 10, 2014 at 11:33am

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या?

छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?... प्रिय रामशिरोमणि जी बहुत बढ़िया बधाई आपको

Comment by ajay sharma on May 9, 2014 at 10:52pm

habut khoob 

Comment by Krishnasingh Pela on May 9, 2014 at 9:17pm

अरे वाह जनाब अा.राम शिरोमणि जी छाेटी में ही छुट्टी कर डाली 

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या

खुद से ही बातें,

बीमार हो क्या?.... बहुत खूब । हार्दिक बधाई । 

एक अाैर जाेड दूँ ताे ...

तडके ही पहुँचे 

अखबार हाे क्या?

Comment by नादिर ख़ान on May 9, 2014 at 8:38pm

वाह - वाह बहुत बढ़िया  आदरणीय पाठक  जी ..

बेचा है खुद को,

बाज़ार हो क्या?...बाज़ार तो नहीं बिकता समान बिकता है सुधिजनों से अनुरोध है मेरा भी मार्गदर्शन करें पाठक जी के इस शेर के माध्यम से मै कुछ सीख जाऊँ .....

Comment by coontee mukerji on May 9, 2014 at 7:18pm

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या?.....क्या बात है

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