For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने मौसम को ………

अपने मौसम को ………

तुम ही तो थे
मेरे नेत्रों के वातायन से
असमय विरह पीर को
बरसाने वाले

मुझे अपने बाहुपाश में
प्रेम के अलौकिक सुख का
परिचय कराने वाले

मेरी झोली में विरह पलों को डालने वाले
क्या आलिंगन के वो मधुपल भ्रम थे

पर्दे के पीछे मेरी विरह वेदना को
सिसकियों में पिघलते
मूक बन कर देखते रहे

क्यों एक बार भी हाथ बढ़ा कर
मेरे व्यथित हृदय को
ढाढस बंधाने का प्रयास नहीं किया

मैं बिस्तर पर बिखरे वस्त्रों को समेटती रही
तुम्हारी बेतरतीब सी बिखरी किताबों में
तुम्हारे अक्स,तुम्हारे स्पर्श
महसूस करती रही

खाली पडी चाय की प्याली पर
तुम्हारे अधरों की अव्यक्त तृषा के भावों में
स्वयं को समाहित करती रही

मेरे नेत्रों की प्रणय प्रभा
तुम्हारी प्रतीक्षा की कल्पना में
साँझ के आवरण में लुप्त होने लगी

मैं बावली सी
इक बूँद प्यार की आस में
हर पल पाषाण पे मरती रही

अपने काजल से रात्रि को रंगती रही
कल्पना की चुनर से
अपने मयंक को तकती रही
अधर पे अंगार सजते रहे
मैं अपने मौसम को तरसती रही

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2014 at 12:28pm

आदरणीय जितेन्द्र गीत जी रचना पर आपकी स्नेहिल  प्रशंसा का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2014 at 12:28pm

आदरणीय शिज्जु शकूर  जी रचना पर आपकी स्नेहिल  प्रशंसा का  हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on June 7, 2014 at 12:23pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा ने रचना को नई ऊंचाई की है   … इस  हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2014 at 9:36am

आदरणीय शुशील जी, बहुत ही सुंदर भाव. बहुत बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 6, 2014 at 7:43pm

वाह खूबसूरत भावाभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2014 at 12:00pm

सरना जी

आपके मनोरम श्रृंगार को  प्रणाम i कल्पना की चूनर से ---- वाह ! लाजवाब i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service