For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन की...

तपती धरा पर

कुछ  बूंदें  ही बारिश की

यूँ पड़ी..

न कोई राहत ,न ही सौंधी सी महक

सिर्फ बेचैनी और उमस

कहीं संवेदनाओं की मिट्टी

पत्थर तो नहीं हो गई

 

या वर्ष भर के

लम्बे विरह से

मिलन की ,भूख-प्यास चाहती हो

खूब टूट-टूट कर 

बरसें   ये बादल

हाँ..! यही सच है

शायद..

मन भी यही चाहता है.

जितेन्द्र’गीत’

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 635

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2014 at 10:43pm

आपका ह्रदय से आभार आदरणीय शुशील जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2014 at 1:29pm

मेरे इस नाम के साथ, रचना पर आपके आशीर्वाद से बहुत अपनापन मिला आदरणीय डा. गोपाल जी, अपना स्नेहिल आशीर्वाद युहीं बनाये रखियेगा

सादर !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2014 at 1:27pm

रचना पर आपका स्नेह , मुझे हमेशा सम्बल देता है आदरणीया राजेश दीदी .अपना स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2014 at 1:23pm

आप काफी हद तक सही ही कह रहे है आदरणीय जवाहर जी, रचना पर आपकी उपस्थिति हेतु आपका ह्रदय से आभार

सादर !

Comment by Sushil Sarna on June 30, 2014 at 1:23pm

आंतरिक मनोभावों का सुंदर चित्रण  करती इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय जितेन्द्र गीत जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2014 at 1:20pm

रचना के भाव ने आपके मन को छुआ, लेखनकर्म सार्थक हुआ आदरणीय डा विजय जी. स्नेह बनाये रखियेगा
सादर !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 30, 2014 at 1:17pm

रचना पर आपकी उपस्थिति हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीया माहेश्वरी जी

सादर !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 30, 2014 at 11:37am

जीतू जी

बहुत ही अच्छे भाव है i  आपने कम शब्दों में बड़ी बात कही i 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 30, 2014 at 10:23am

मन के भाव को कितने सुन्दर शब्दों से पिरोया है इस रचना में ....बहुत ज्यादा पसंद आई ये रचना |

हार्दिक बधाई जितेन्द्र भैय्या |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 29, 2014 at 8:01pm

कहीं संवेदनाओं की मिट्टी

पत्थर तो नहीं हो गई

आज हम सभी पाषाण हो गए है… संवेदना बची ही नही आदरणीय जितेंद्र जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
26 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service