“ आज का मैच तो बड़ा रोमांचक है यार, बड़े जबर्दस्त फार्म में है टीम...”
“अरे हाँ यार! तेरे घर तो मैच देखने का आनंद ही अलग है, पर यार ये अन्दर से कराहने की आवाज तेरी मम्मी की आ रही है क्या..?”
“ आने दे यार! वो तो उनकी रोज की आदत है, बूढी जो हो गई है थोड़ी देर में सो जाएँगी. तू तो मैच देख मैच”
जितेन्द्र ’गीत’
( मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
रचना पर आपकी उपस्थिति का बड़ा बेसब्री से इन्तजार रहता है आदरणीय सौरभ जी. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका तहे दिल से आभारी हूँ .लघुकथा की सार्थकता, यहीं की संलग्नता और आप सभी अग्रजो के मार्गदर्शन का असर है .
सादर!
ग़ज़ब ! ग़ज़ब !
सबने अपनी-अपनी कह दी है.. हम चूँकि देर से आये हैं, सो अधिक नहीं कहेंगे. बस इतना ही कि सतत संलग्नता और धैर्य के साथ होता हुआ रचनाकर्म क्या कुछ हो जाने का कारण होता है आपकी यह प्रस्तुति मुखर स्वर में कह रही है, भाई जितेन्द्रजी.
अतिशय बधाइयाँ .. हार्दिक शुभकामनाएँ
आँखे तो सभी की खुली रहती है परन्तु सिर्फ स्वार्थ हेतु, क्या आशा की जाए ? रचना पर आपकी उपस्थिति हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय सुरेन्द्र जी. स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
प्रिय जितेंद्र भाई जबरदस्त लघु कथा। . आप की सोच की दाद देनी होगी एक करारा प्रहार आज के पंगु होते सामाजिक व्यवस्था पर। . काश संतान आँखें खोल सकें
जय श्री राधे
भ्रमर ५
आपकी उत्साहवर्धक सराहना से बहुत मनोबल मिलता है, आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय गिरिराज जी.स्नेह बनाये रखियेगा
सादर !
आदरणीय जितेंद्र भाई , बहुत ही कम शब्दों मे आपने एक महीन भाव को उजागर किया है , बहुत बहुत बधाइयँ , लघुकथा के लिये ॥
आपकी सराहना पाकर मेरी रचना धन्य हो गई आदरणीय योगराज जी, आपकी बधाई सहर्ष शिरोधार्य है. अपना स्नेहिल मार्गदर्शन बनाये रखियेगा
सादर!
सतही दृष्टि से आम से लगने वाले क्षणों को बहुत महीनता से बुना है भाई जीतेन्द्र जी, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें।
रचना पर आपकी उत्साहवर्धक सराहना से रचना को सार्थकता का प्रमाण मिलता है आदरणीया डा.प्राची जी, आपका ह्रदय से आभार
सादर!
आदरणीय रवि जी, आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया ने बहुत मनोबल दिया है. मैं जो कुछ भी लिखना सीखा हूँ यह सब ओ बी ओ का ही सानिध्य है.सच कहूँ तो कभी जीवन में नही सोचा था की मैं कभी कुछ लिख पाउँगा, यहाँ का अपनापन व् स्नेह से भरा मार्गदर्शन ही मुझे आज मेरी पहचान बता रहा है. आपने मुझे मित्र भी कह दिया तो फिर क्षमा की कोई बात ही नही. और इस दुनिया में बातों या विचारों से बुरा मानने वाला इंसान शायद सही निर्णय ही नही ले पाता. रचना पर आपके मार्गदर्शन से मुझे बहुत ख़ुशी मिली आपका ह्रदय से आभारी हूँ :))
सादर!
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