For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" हँसकर पतवार चलाना रे "

सुख-दुःख तो आते जाते हैं................................... 

सुख-दुःख तो आते जाते हैं,  राही मत घबरा जाना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

हमने कुछ देखी रीत यहाँ,..................................

हमने कुछ देखी रीत यहाँ, श्रम से ही सब कुछ मिलता है !

ईमान –धरम के काँटों में, तब फूल मुकद्दर खिलता है !

 

दौलत तो आनी जानी है.................................

दौलत तो आनी जानी है, ना मन इसमें उलझाना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

ये पाप - पुण्य है खेल यहाँ,..................................

ये पाप - पुण्य है खेल यहाँ, जो करता है सो भरता है !

जो सत की राह चले वो तो, इस भवसागर से तरता है !

 

सारे बंधन हैं स्वप्न यहाँ..................................

सारे बंधन हैं स्वप्न यहाँ, मत जीवन व्यर्थ गवाँना रे !

जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 894

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on January 26, 2015 at 12:33pm

सोमेश भाई , बहुत - बहुत धन्यवाद आपका !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 26, 2015 at 12:33pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी, रचना पर आपके उत्साहवर्द्धन के लिए  धन्यवाद ,आपका हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 24, 2015 at 8:20pm

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 24, 2015 at 8:18pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी सर !

Comment by somesh kumar on January 22, 2015 at 11:37am

सुंदर गीत ,सुंदर भाव |बधाई इस मनोहरी रचना पर |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 22, 2015 at 11:14am

हँसते हँसते जीनें का सन्देश देती सुंदर गीत  रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री हरी प्रकाश दुबे जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2015 at 8:13am

लाजवाब गीत रचना हुई है , आदरणीय हरि भाई , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 21, 2015 at 9:54pm

आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर, सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 21, 2015 at 9:38pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on January 21, 2015 at 9:21pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया सर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु  आपका हार्दिक आभार ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
9 minutes ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
15 hours ago
Admin posted discussions
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service