For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर(ग़ज़ल 'राज')

१२२ १२२ १२२ १२

मिला कीमती वक़्त जाया न कर

बुरी बात होंठों पे लाया न कर

 

बड़ी जितनी चादर उसी में सिमट    

तू ये नाज़ नखरे दिखाया न कर

 

कभी वो तेरा हाथ देंगे मरोड़

किसी को तू ऊँगली दिखाया न कर

 

अदब से कहेगा सुनेंगे सभी

सुलगती  जुबाँ से सुनाया न कर

 

तवा गर्म है सब्र से काम ले

इन हाथों को अपने जलाया न कर

 

सही है अगर तू दिखा तो सबूत

हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर

 

सभी खोलता “राज’ पैकर तेरा  

कोई बात दिल में छुपाया न कर

 

बहुत चोट लगती तुझे क्या पता

किसी को नजर से गिराया न कर

 

बुलंदी का रस्ता जहाँ बंद हो

उधर पाँव अपने बढ़ाया न कर  

-----------

Views: 1000

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on June 14, 2015 at 10:12pm
सुन्दर गजल हुई बधाई हो आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:16pm

विनय कुमार सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से आभार आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:15pm

आ०  वीनस  जी, आपकी सराहना ने आश्वस्त किया आपका परामर्श स्वागत योग्य है जिस भाव से मैं कहना चाह रही थी वही भाव बरकरार रहेगा फज़ा करने से भी अच्छा शब्द सुझाया बहुत बहुत शुक्रिया आपका.   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:13pm

राम अश्रेय जी .आपका बहुत- बहुत शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 14, 2015 at 6:12pm

आ० डॉ०  गोपाल  भाई जी ,ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 14, 2015 at 6:11pm

आदरणीया राजेश जी , बेहतरीन गज़ल हुई  है , आपको हार्दिक बधाइयाँ । आदरणीय वीनस भाई के सुझाये परिवर्तन से शे र और बढ़िया हो जायेगा ।

Comment by विनय कुमार on June 14, 2015 at 3:19pm

// बहुत चोट लगती तुझे क्या पता
किसी को नजर से गिराया न कर // , वाह , वाह । बेहतरीन पंक्तियाँ , सादर बधाई क़ुबूल करें आदरणीया..

Comment by वीनस केसरी on June 14, 2015 at 3:01pm

बहुत शानदार ग़ज़ल है ...

तवा की जगह फज़ा करके देखें ... शायद अधिक पसंद आये

Comment by Ram Ashery on June 14, 2015 at 3:00pm

बधाई हो बहुत अच्छी रचना मन को छु लिया  है 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 14, 2015 at 12:24pm

आ० दीदी

बहुत उम्दा गजल . बेहतरीन  सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service