For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राय बहादुर : लघु कथा

“मेरे ग्रैंड फादर राय बहादुर थे” ..... उस व्यक्ति ने बुद्धिजीवियों की सभा में अकड़ के साथ यह बात कही ।   सभा के आयोजक ने भी गर्व से अपना सर ऊंचा कर लिया । वहाँ  उपस्थित लोग जो उस व्यक्ति को मिल रहे विशेष सम्मान, तवज्जो , उसके समृद्ध पहनावे एवं उसकी मंहगी गाड़ी से पहले ही नतमस्तक हो रहे थे, यह सुनकर थोड़े  और विनीत भाव दिखलाने लगे। उसे मंच पर सबसे ऊंची कुर्सी दी गयी । सब उसके साथ एक फोटो खिचवा लेना चाहते थे । महेश सभा में सबसे पीछे की कुर्सी पर उपेक्षित सा बैठा अपने मलिन कपड़ों को देख रहा था।  वह ज़ोर से चिल्ला चिल्ला कर कहना चाह रहा था  कि उसके दादा जी एक स्वतन्त्रता सेनानी थे , जिनकी सारी संपत्ति अंग्रेज़ो ने जब्त कर ली थी .... पर वह चुप रहा ....  

Views: 843

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:10am

आपको रचना पसंद आई इससे उत्साह बढ़ा ... आदरणीय सौरभ जी ... आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 2:12am

एक ऐसा वर्ग जिसके सदस्यों की संख्या गिनी हुई है, उसकी असह्य पीड़ा को बखूबी शाब्दिक किया है आपने आदरणीय.

Comment by Neeraj Neer on July 2, 2015 at 10:25pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी आपका बहुत धन्यवाद ...  

Comment by Neeraj Neer on July 2, 2015 at 10:24pm

आदरणीय maharshi tripathi  जी आपका धन्यवाद .... राय बहादुर दरअसल अंग्रेजों के द्वारा दी जाने वाली एक पदवी थी जो अंग्रेजों के द्वारा उन्हें प्रदान की जाती थी जो अङ्ग्रेज़ी शासन की मदद करते थे .... जैसे " सर" आदि 

Comment by Neeraj Neer on July 2, 2015 at 10:22pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी रचना पसंद करने एवं सराहना हेतू आपका आभार .... 

Comment by Neeraj Neer on July 2, 2015 at 10:21pm

माननीया राजेश कुमारी जी ...... आपको रचना अच्छी लगी इससे मेरा उत्साह बढ़ा है ..... 

Comment by Neeraj Neer on July 2, 2015 at 10:20pm

आपका हार्दिक आभार Rahul Dangi जी ॥ 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 2, 2015 at 7:22pm

अच्छी लघुकथा हुई है आज भी बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी के वंशज उपेक्षित हैं 

Comment by maharshi tripathi on July 2, 2015 at 5:17pm

सुन्दर आ.Neeraj Kumar 'Neer' जी ,,सत्य है आज वही लोग 'राय बहादुर' हैं,,जो अंग्रेजों के चाटुकार थे ,,आज भी उनका सम्मान अपने देश में एक सेलेब्रिटी की तरह किया जाता है ,परन्तु महेश अगर अपनी बात  कहता ,,तो सम्मान उसे भी मिलता पर उतना नहीं | 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2015 at 2:31pm

आदरणीय नीरज जी ..यह वर्त्तमान की सबसे बड़ी बिडम्बना है ..हर जगह यही हो रहा है ..लोग इस का जम कर फ़ायदा उठा रहे हैं ..बिषय को प्रस्तुत करने में आपकी रचना कामयाब रही ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"निशा स्वस्ति "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब की आज्ञानुसार :- "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" अंक 168…"
3 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय हौसला बढ़ाने के लिए बेहद शुक्रिय:।"
3 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल पर आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय फिर अन्य भाषाओं ग़ज़ल कहने वाले छोड़ दें क्या? "
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"गुरु जी जी आप हमेशा स्वस्थ्य रहें और सीखने वालों के लिए एक आदर्श के रूप में यूँ ही मार्गदर्शक …"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//मेरा दिल जानता है मैंने कितनी मुश्किलों से इस आयोजन में सक्रियता बनाई है।// आदरणीय गुरुदेव आप…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें आ अमीर जी की इस्लाह भी ख़ूब हुई"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सभी गुणीजनों की बेहतरीन इस्लाह के बाद अंतिम सुधार के साथ पेश ए ख़िदमत है ग़ज़ल- वाक़िफ़ हुए हैं जब…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//उर्दू ज़बान सीख न पाए अगर जनाब वाक़िफ़ कभी न होंगे ग़ज़ल के हुनर से हम'// सत्यवचन गुरुदेव। सादर…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service