For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में
जब किसान बोता है
मिट्टी में स्वेद बूंद और
धरा ठहरती है उम्मीद से
जब श्रमिक बोझ उठाये
एक होता है
ईट और गारों के साथ
शहर की अंधी गलियों में
जहां हवा भी भूल जाती है रास्ता ।
तुम्हारी ताजा महक
भर सकती है उनमें उमंग
मिटा सकती है उनकी थकान
दे सकती है उत्साह के कुछ पल
कड़ी धूप का अहसास कम हो सकता है ।
पर तुम महकते हो रात में
जब किसान और श्रमिक
अंधेरे की चादर ओढ़े
थकान से चूर चले जाते हैं
नींद के आगोश में । 
तुम महकते हो
जब ऊंचे प्राचीरों वाले बंगले में
दमदमाती है डिओड्रेण्ट और परफ़्यूम की महक
जहां गौण हो जाता है तुम्हारा होना
तुम्हारा अस्तित्व होता है निरर्थक । 
रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में ?
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:11am

रचना को पसंद करने के लिए आपका दिल से आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ...... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 8, 2015 at 11:07am

सुन्दर प्रस्तुति नीरज जी एक कवि की शिकायत रात  रानी से जैसे किसानों की शिकायत मेघों से होती है इन भावों को एक कवि ही जी सकता है बहुत- बहुत बधाई. 

Comment by Neeraj Neer on July 8, 2015 at 11:06am

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी .... आपकी बातों से मेरी पूर्ण सहमती है .... और आपके कहे को मैं हमेशा सकारात्मक ही लेता हूँ...... :) हाँ आप कुछ नहीं कहते हैं तो अलग बात होती है .... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2015 at 5:53pm

भाई नीरज नीरजी, आपकी इस कविता पर मेरी वाह अवश्य है. हर इंगित और बिम्ब अपनी सशक्त उपस्थिति बनाता है. लेकिन ऐसी कोई नई बात हुई हो ऐसा नहीं है. स्वेद के बीज से धरती का उम्मीदों में होना अच्छा लगा. किन्तु आगे वही ’वाद’ विशेष की कहन को स्वर देती पंक्तियाँ हैं जिनको बेच कर अपने अस्तित्व के लिए वो जूझ रहा है.

आपकी कहन में सच्चाई हुआ करती है. उसे यों ही किसी के क्लिशे के बहाव कमज़ोर न करें. ऐसी हज़ारों कविताएँ पड़ी हैं जिनके भाव बेच कर एक पूरी संस्था चल रही है. वैसे यह आप पर है कि मेरे कहे को आप कैसे लेते हैं.
शुभेच्छाएँ

Comment by Neeraj Neer on June 24, 2015 at 11:26am

आदरणीया कांता रॉय जी , कथ्य से सहमती जताने एवं इस ख़ूबसूरत टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार ... 

Comment by Neeraj Neer on June 24, 2015 at 11:24am

आपका आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  साहब .... 

Comment by kanta roy on June 24, 2015 at 10:53am
बिलकुल सही शिकायत की है आपने रात की रानी से आदरणीय नीरज जी । वो खिलती है रात की नीरवता में चुपके से ... जब सो जाते सब स्वेद पसीनों से तर होने वाले ... कठोर तप सी जिंदगी में वो क्यों नहीं खिलती है तपती हुई दिन में ... खूशबू उड गई ! किसी के मन को तर ना किया ... हाय ! रात की रानी , क्या तुमने अपना जीवन व्यर्थ जिया ? आभार
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2015 at 12:14pm

आओ नीर जी

सुन्दर , भावपूर्ण कविता .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service