बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
वो तो होती हैं-
सृष्टि की अद्भुत कल्पना
आनंददायक भावना।
वो रहती हैं-
आँगन की हवाओं में
पिता की दुआओं में ।
तभी तो खिल जाती है
एक स्नेहिल मुस्कान
हर लेती जो कितनी थकान।
बांटती है हमेशा-
खुशियों की सत्त्व-दीप्ति
मधुर जीवन संस्कृति।
वैसी कोई दूजी सुवास नहीं होती ।
क्योकिं बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
वो तो दूर करती हैं-
उदासी, दोनों ही घरों की
बनाती है जीवन इन्द्रधनुषी।
बेटियाँ हर लेती हैं-
पीड़ा, संतप्त मन की
घर की, आँगन की।
और देती हैं हमें एक -
अलौकिक आनंद की अनुभूति
जैसे बनकर कोई सुधा-सूति।
वही तो होतीं हैं,
जब माँ पास नहीं होतीं ।
क्योकिं बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी ..
बहुत बहुत आभार आदरणीय मोहन सेठी इंतज़ार जी , सच में आदरणीय मिथिलेश जी के संशोधन के बाद तो बेहतरीन हो गयी है..
मैं तो नमन करता हूँ आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी रचना धर्मिता को | आपने इतना समय दिया इसे और आपके संशोधन/ परिष्करण के बाद तो ये एकदम खिल उठी है | दरअसल बेटियों के लिए कुछ भी लिख दिया जाये तो वो दिल को छू लेता है और मुझे भी बेटी की याद आई और मैंने कुछ आड़ा तिरछा लिख दिया | आप जैसे अभ्यासी होने चाहियें आदरणीय तो दूसरों को राह दिखा सकें | दिल से आभार आपका..
आदरणीय विनय जी सुंदर एवं भावपूर्ण रचना के लिये हार्दिक बधाई और आदरणीय मिथिलेश जी ने जो रंग उसमें भरा है वो ग़जब है.... आप दोनों को नमन
आदरणीय विनय जी बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता हुई है. इस बेहतरीन प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
कविता में मुझे कुछ संभावनाएं लगी और नया अभ्यासी होने के नाते थोड़ा बहुत रचना पर आयं बायं कर लेता हूँ इसलिए इस पर मैंने प्रयास किया है. यदि इस कविता को थोड़ा इस रूप में सुगठित किया जावें तो आपके भाव सम्प्रेषण का आनंद दुगुना हो जाएगा. पाठक जो अभ्यासी भी है का प्रयास --->
बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
वो तो होती हैं-
सृष्टि की अद्भुत कल्पना
आनंददायक भावना।
वो रहती हैं-
आँगन की हवाओं में
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तभी तो खिल जाती है
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हर लेती जो कितनी थकान।
बांटती है हमेशा-
खुशियों की सत्त्व-दीप्ति
मधुर जीवन संस्कृति।
वैसी कोई दूजी सुवास नहीं होती ।
क्योकिं बेटियाँ कभी उदास नहीं होतीं !!
वो तो दूर करती हैं-
उदासी, दोनों ही घरों की
बनाती है जीवन इन्द्रधनुषी।
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पीड़ा, संतप्त मन की
घर की, आँगन की।
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वही तो होतीं हैं,
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