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ग़ज़ल ( क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की )

ग़ज़ल ( क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की )

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2122 ------1212 ------22

फ़ितरते बर्क़ है जलाने  की /

ख़ैर क्या मांगें  आशियाने की /

जाँ अगर लेनी थी बता देते

क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की /

उनकी आदत है जुल पे जुल देना

और अपनी फ़रेब   खाने की /

छिन गई नींद लुट गया है सुकूं

ये सज़ा पायी दिल लगाने की /

पास जाके  भी देखते कैसे

उनकी आदत है मुंह छुपाने की/

घर किराये के ख़ूब मिलते हैं

क्या ज़रूरत मकाँ बनाने की /

इश्क़ तस्दीक़ करने से पहले

आदतें डालिये निभाने की /

(मौलिक व अप्रकाशित ) 

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Comment

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 23, 2016 at 9:21am

मोहतरमा कान्ता साहिबा ,  आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,मेहरबानी

Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 9:11am
छिन गई नींद लुट गया है सुकूं
ये सज़ा पायी दिल लगाने की...... वाह ! क्या खूब गजल फरमाये है आपने आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । बधाई कबूल फरमाईयेगा ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:45pm

 जनाब मनोज  कुमार अहसास  साहिब  ,  आपकी  हौसला अफ़ज़ाई का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:44pm

 जनाब पंकज कुमार  साहिब  ,  आपकी  हौसला अफ़ज़ाई का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:43pm

मोहतरम जनाब समर कबीर  साहिब आदाब ,  आपकी  हौसला अफ़ज़ाई का तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया , महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2016 at 8:41pm

जनाब आशुतोष मिश्रा साहिब ,  आपकी ख़ूबसूरत दाद और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by मनोज अहसास on February 22, 2016 at 4:40pm
प्रस्तुति के लिए शुभकामना
सादर
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 22, 2016 at 2:28pm
आदरणीय तस्दीक सर बढ़िया ग़ज़ल पढ़ने को मिली, शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on February 21, 2016 at 3:30pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं !
Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2016 at 2:02pm

भाई तस्दीक जी ..

जाँ अगर लेनी थी बता देते

क्या ज़रूरत थी मुस्कराने की /..क्या बात है ,,आनद आ गया 

इश्क़ तस्दीक़ करने से पहले

आदतें डालिये निभाने की / अच्छा मशविरा   इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई  स्वीकार  करें 

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