For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आ मेरे ख़यालों में हाज़िरी लगा दीजै (ग़ज़ल)

बह्र : २१२ १२२२ २१२ १२२२

 

आ मेरे ख़यालों में हाज़िरी लगा दीजै

मन की पाठशाला में मेरा जी लगा दीजै

 

फिर रही हैं आवारा ये इधर उधर सब पर

आप इन निगाहों की नौकरी लगा दीजै

 

दिल की कोठरी में जब आप घुस ही आये हैं

द्वार बंद कर फौरन सिटकिनी लगा दीजै

 

स्वाद भी जरूरी है अन्न हज़्म करने को

प्यार की चपाती में कुछ तो घी लगा दीजै

 

आग प्यार की बुझने लग गई हो गर ‘सज्जन’

फिर पुरानी यादों की धौंकनी लगा दीजै

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 19, 2016 at 12:08am

आदरणीय धर्मेन्द्र जी, आपकी कई ग़ज़लें होती हैं जिन्हें भाव के स्तर पर पढ़ते हुए पाठक चाहे तो उसकी पंक्तियों को जी सकता है. यह ग़ज़ल भी कुछ ऐसी ही ग़ज़ल है. दिल से मुबारकबाद कुबूल करें, आदरणीय. 

यह अवश्य है कि बन्द कर के कमरे को.. में कर के जैसा प्रयोग ठीक नहीं है. यह तो आप भी जानते हैं. भले ही लोग ऐसा बोलते हैं. इसे बन्द कर दें पल्ले को..  किया जा सकता है. कोठरी और कमरा साथ-साथ कहना उचित होगा क्या ? या, आप जो उचित समझें. 

दूसरे, आखिरी शेर के उला में शिकस्ते नार’वा का दोष है, आदरणीय. कृपया देख लें.

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 17, 2016 at 8:26pm

aa0आ० पहले कोठरी फिर कमरा , क्या माजरा है . गजल हेतु मुबारकवाद .

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2016 at 9:47am

शुक्रिया कल्पना जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 17, 2016 at 9:47am

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय समर साहब। आप ठीक कह रहे  हैं इस बह्र में २१२ १२२२ के बाद ब्रेक होना आवश्यक है जो पाँचवें शे’र के उला मिसरे में नहीं हो रहा है। त्रुटि की तरफ ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 17, 2016 at 8:52am
अच्छी ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय।
Comment by Samar kabeer on August 16, 2016 at 10:57pm
जनाब धर्मेंद्र कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
पाँचवे शैर का ऊला मिसरा लय से भटक रहा है,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service