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मेरे चेहरे पे कितने चेहरे हैं (ग़ज़ल)

बह्र : २१२२ १२१२ २२

 

अंधे बहरे हैं चंद गूँगे हैं

मेरे चेहरे पे कितने चेहरे हैं

 

मैं कहीं ख़ुद से ही न मिल जाऊँ

ये मुखौटे नहीं हैं पहरे हैं

 

आइने से मिला तो ये पाया

मेरे मुँह पर कई मुँहासे हैं

 

फेसबुक पर मुझे लगा ऐसा

आप दुनिया में सबसे अच्छे हैं

  

अब जमाना इन्हीं का है ‘सज्जन’

क्या हुआ गर ये सिर्फ़ जुमले हैं

-----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2016 at 12:53pm

आदरनीय धर्मेन्द्र भाई , अच्छी गज़ल कही है , सभी अशआर मानी खेज़ हुये है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on October 2, 2016 at 10:11am

आदरणीय धर्मेन्द्र जी बढ़िया !!!

बहुत बहुत बधाई आपको इस ग़ज़ल के लिए!!!

सादर!!!

Comment by Ravi Shukla on October 2, 2016 at 8:28am
आदरणीय धर्मेन्द्र जी बढ़िया अशआर कहे है पढ़ कर अच्छा लगा । बहुत बहुत बधाई । आदरणीय समर साहब के कथन को देखें तो शायद लफ्ज़ परिधि के वज़्न से उसके रुक्न में प्रयोग से हो सकता है । उनका इंगित अभी आया नही है जिससे स्पष्ट हो । सादर
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 1, 2016 at 10:36pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जू जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 1, 2016 at 10:35pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मन्डल साहब। इस बह्र मेँ पहले रुक्न मेँ 2122 की जगह 1122 लेने की छूट होती है। और चेहरा, चह्रा 22 बा‍ँधा जाता है। वही बा‍ँधा है।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on October 1, 2016 at 10:32pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब। जनाब मेरे  हिसाब से तो लय सही है। कृपया मार्गदर्शन करेँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 1, 2016 at 1:03pm

वाह आदरणीय धर्मेन्द्र सज्जन जी दमदार अशआर हुए हैं, बहुत बहुत बधाई आपको इस ग़ज़ल के लिए

Comment by Kalipad Prasad Mandal on October 1, 2016 at 11:45am

आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार जी , बहुत सुन्दर गजल कही आपने | निवेदन कि  

मेरे चेहरे पे कितने चेहरे हैं"

  २१२२  १२१२  २२  में तकती कर के बताइए , मैं  अपनी खुद की शंका दूर करने के लिए पूछ रहा हूँ | "चेहरे ' की मात्रा क्या लिया है आपने ?

सादर 

Comment by Samar kabeer on October 1, 2016 at 10:32am
जनाब धर्मेंद्र कुमार जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
छटे शैर के सानी मिसरे की लय चेक कीजियेगा ।

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