For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐसा लगा जमी पे आसमा उतर गया

*221 2121 2121 212*

‌मेरी गली के पास से वो यूँ गुजर गया ।
ऐसा लगा जमीं पे आसमा उतर गया ।।

माना मुहब्बतों का फ़लसफ़ा अजीब है ।
शायद नज़र खराब थी वो भी उधर गया ।।

मैं रात भर सवाल पूछता रहा मगर ।
उसका जबाब हौसलों के पर क़तर गया ।।

‌तुमने दिए जो जख़्म आज तक न भर सके ।
‌जब जब किया है याद दर्द फिर उभर गया ।


इस तर्ह उस हसीन की तू पैरवी न कर ।
मतलब निकलने पर जो रब्त से मुकर गया ।।

‌तू मेरी आजमाइशों की कोशिशें न कर ।
जो आया तोड़ने वो हो के दर बदर गया ।।

‌मत राज जिंदगी का पूछिए हुजूर अब ।
कातिल भी मेरी मुस्कुराहटों पे मर गया ।।

‌जब भी गए हैं आईने के पास वो सनम ।
‌किस्मत बुलंद पा के आइना निखर गया ।।


‌ --नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 800

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 23, 2017 at 8:24am

आदरणीय नवीन मणि भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार कीजिये ।

Comment by Mahendra Kumar on February 22, 2017 at 9:08pm
आदरणीय नवीन जी, बढ़िया अशआरों से सजी इस ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक़बाद क़ुबूल कीजिए। सादर।
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 21, 2017 at 7:05pm
आ0 नरेंद्र सिंह चौहान जी शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 21, 2017 at 7:04pm
आ0 नीलम उपाध्याय जी सादर नमन
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 21, 2017 at 7:03pm
आ0 सुरेन्द्र नाथ कुश क्षत्रप साहब सादर आभार
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:45pm
आदरणीय नवीन मनी त्रिपाठी जी सादर अभिवादन। उम्दा गजल के लिए शैर दर शैर दाद और मुबाकरबाद पेश करता हूँ।
Comment by Neelam Upadhyaya on February 21, 2017 at 4:17pm

अदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, बहुत ही उम्दा रचना है। बधाई ।

Comment by narendrasinh chauhan on February 20, 2017 at 6:07pm

सुन्दर रचना 

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 20, 2017 at 5:09pm
आदरणीय शिज्जू शकूर साहब आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 20, 2017 at 5:09pm
आदरणीय शिज्जू शकूर साहब आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service