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कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात (ग़ज़ल)

बह्र 1212 1122 1212 1121/112

अगर सभी के दिलो में हो सिर्फ प्यार की बात
नही कठिन है मिटाना जहाँ से खार की बात

हिरोशिमा से सबक लें सभी जो मुल्क अगर
कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात

जुबाँ कभी मेरी खाली न जाये इसलिए तो
कभी किसी से न की भूलकर उधार की बात

हुआ चलन जो मो'बाइल का हर जगह गोया
कि अब नही यहाँ होंगी किसी से तार की बात

दिखा न आँख हमे इस कदर समझ बुजदिल
हैं शेर हम नही करते कभी सियार की बात

दिखा रही है सियासत भी सब्जबाग हमे
किसे है फ़िक्र करेगा जो रोजगार की बात

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 8:10pm
आद0 बहन राजेश कुमारी जी आपकी प्रशंसा से नयी ऊर्जा का संचार होता है, दिल से आपका आभार। इस ग़ज़ल पर आद0 उस्ताद समर साहब से इस्लाह लिया था, सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2017 at 7:31pm

वाह्ह्ह्ह सुरेन्द्र भैया बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है 

हिरोशिमा से सबक लें सभी जो मुल्क अगर
कभी न होगी यहाँ नाभिकीय वार की बात---एक सार्थक सन्देश देता हुआ शेर 

सभी शेर उम्दा हुए हैं दिल से बधाई स्वीकारें 

गोया का प्रयोग यहाँ कितना सही है ..बस इस पर मुझे संशय है 

Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 7:10pm
आद0 मोहम्मद आरिफ जी आपकी प्रशंसा हमे अभिभूत करती है, दिल से आभार आपको।
Comment by Mohammed Arif on March 4, 2017 at 6:05pm
वाह!वाह!!वाह!!!बहुत ख़ूब आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी । कोई एक शे'र हो तो कहूँ , यहाँ तो हर शे'र लाजवाब है । शे'र दर शे'र दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on March 4, 2017 at 5:52pm
आदरणीय आशुतोष मिश्र जी ग़ज़ल पसंद आयी, लिखना सार्थक हुआ, आभार आपका
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 4, 2017 at 5:45pm
आदरणीय सुरेन्द्र जी सार्थक सन्देश देती है यह शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई स्वीकार काटें सादर

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