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नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो (ग़ज़ल)

1222 1222 122

मुहब्बत की ज़रुरत है? नहीं तो
ये ग़म क्या रस्म-ए-उल्फ़त है? नहीं तो

तेरी इसपर हुक़ूमत है? नहीं तो
ये दिल तेरी रियासत है? नहीं तो

ये दुनिया ख़ूबसूरत है? नहीं तो
किसी में आदमीयत है? नहीं तो

कोई मंज़र नहीं जँचता है गोया
नज़र में कोई सूरत है? नहीं तो

किसी दिन चाँद उतरे मेरे छत पर
उसे क्या इतनी फुरसत है? नहीं तो

मुहब्बत से ही इतना कुछ मिला है
कुछ और पाने की चाहत है? नहीं तो

कि मर-मर के भी साँसें चल रही हैं
तुम्हें क्या जीने की लत है? नहीं तो

इक अरसे बाद लौट आया तो है दिल
मगर क्या इसको राहत है? नहीं तो

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:32pm
आदरणीय महेंद्र जी, मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई, बहुत अच्छा लगा। हृदयतल से धन्यवाद आपको।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:31pm
हार्दिक धन्यवाद आपको, आदरणीय अनुराग वशिष्ठ जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:29pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंद्र कुमार जी। जी, इन चर्चाओं से ही तो मंच का उद्देश्य पूर्ण होता है।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 9:27pm
आपका बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय डॉ० आशुतोष मिश्र जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 7:10pm
उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद प्रकट करता हूँ आदरणीय गिरिराज भंडारी जी। आपका कथन सर्वथा उचित है, मैं आपकी बात पर अमल कर सुधार करता हूँ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 15, 2017 at 7:07pm
बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय समर कबीर जी आपका। वाक़ई आपके द्वारा सुझाये मिसरे ने शेर में चार चाँद लगा दिये।
Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 11:43am

आदरणीय जयनित जी, आप फिर चले गए? बहरहाल, अच्छी लगी ग़ज़ल आपकी. हार्दिक बधाई. सादर.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 4, 2017 at 3:21pm
आदरणीय जयनित भाई बहुत् खूब,आपकी गजल पर चर्चा भी बहुत उपयोगी रही हमारे लिए भी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 4, 2017 at 2:06pm

भाई जय्नित जी बहुत ही उम्दा रचना हुयी है आदरणीय गिरिराज भाईसाब और आदरणीय समर सर की बात से मैं भी यह गलती सुधरने की कोशिस करूंगा / मैं तो यह सोच कर ग़ज़लें ठीक न कर सका ताकि उन गलतियं पर बिद्वत्जनो की प्रतिक्रिया से नए सीखने वाले को गलती कहाँ हुयी है इसका भान हो सके ..आपको इस रचना के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं सादर 

Comment by Samar kabeer on May 2, 2017 at 3:03pm
ये मिसरा और ख़ूबसूरत हो सकता है,ऐसे :-
'किसी शब चाँद उतरे मेरी छत पर'

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