For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता - सलीम रज़ा रीवा

 2122 1212 22 

तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता
दिल ये तुझपे फ़िदा नहीं होता   
-
इश्क़ तुमसे किया नहीं होता 
ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता
-
ज़िन्दगी तो  संवर गयी  होती 
ग़र वो मुझसे जुदा नहीं होता
-
उसकी चाहत ने कर दिया पागल 
प्यार  इतना  किया  नहीं  होता 
-
सबको दुनिया बुरा बनाती है
कोई इंसाँ बुरा नही होता
-
चोट खाएँ भी मुस्कुराएँ भी
अब रज़ा हौसला नहीं होता.
_____________________
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1164

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on January 15, 2018 at 5:21pm
बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on January 15, 2018 at 3:21pm

अच्छा है ।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 15, 2018 at 3:08pm
आली जनाब समर साहब आपकी शुक्रिया नवाज़िश करम..
एक अभी शेर हुआ है अगर किसी लायक़ हो...
मेरे घर में ख़ुशी नहीं आती
तू अगर हम-नवा नहीं होता
Comment by Samar kabeer on January 15, 2018 at 3:06pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,'मोमिन' की ज़मीन में ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।कि

Comment by SALIM RAZA REWA on January 15, 2018 at 9:35am
भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह जी,
आपकी की बधाई के लिए शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on January 15, 2018 at 9:33am
भाई नीलेश जी आपकी मुहब्बत और
टंकण गलती अवगत कराने के लिए बहुत शुक्रिया,
Comment by नाथ सोनांचली on January 15, 2018 at 5:41am
आद0 सलीम जी सादर अभिवादन। अच्छे अशआर हुए हैं। हार्दिक बधाई।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 14, 2018 at 10:56pm

आ. सलीम साहब,
तीसरे शेर में ..हँसी को हसीं कर लें ..
सबको दुनिया बुरी बनाती है ..बुरा बनाती है ...देखिएगा 
सादर 

Comment by SALIM RAZA REWA on January 14, 2018 at 9:21pm
आ. अजय तिवारी जी बहुत बहुत शुक्रिया.
आपकी बात समझ नहीं पाया कुछ स्पष्ट करें
Comment by SALIM RAZA REWA on January 14, 2018 at 9:20pm
मोहित जी बहुत बहुत शुक्रिया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service