For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-इसलिये हैं नैन घायल आँसुओं से तर-ब-तर-बृजेश कुमार 'ब्रज'

किसलिये हैं नैन घायल
आँसुओं से तर-ब-तर?

फिर किसी सुनसान कोने
चीख कोई जो उठी
रात की खामोशियों में
रातरानी रो उठी
दानवी अट्टाहसों में
आह तड़पी घुट गई
टूटती साँसें समेटे
लड़खड़ाती वो उठी

इस कदर बरपी क़यामत
बन गई मातम सहर
इसलिये हैं नैन घायल
आँसुओं से तर-ब-तर

है नहीं जग में ठिकाना
आँख जाए नीर का
मोल कोई दे सकेगा
वेदना का पीर का
जिस नज़र पे था भरोसा
घात भी उससे मिली
हाथ ही अंधे हुये तब
धर्म क्या शमशीर का

आग बरसे आसमां से
तप रही है रहगुजर
इसलिये हैं नैन घायल
आँसुओं से तर-ब-तर

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 876

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 13, 2018 at 7:35am

बहुत बहुत आभार डा.साहब...

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 11, 2018 at 3:53pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी बहुत बेहतरीन कविता दिल खुश हो गया दिली बधाई कुबूल कीजिए

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 11:46am

आदरणीय तिवारी जी आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 11:46am

सुन्दर मनोहारी टिप्पड़ी के लिए आपका धन्यवाद आदरणीय डा.साहब

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 11:45am

आपका स्वागत है आदरणीय त्रिपाठी जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 11:44am

बहुत बहुत आभार आदरणीया नीलम जी..सादर नमन

Comment by Ajay Tiwari on October 10, 2018 at 5:21pm

आदरणीय बृजेश जी, अच्छा गीत हुआ है. हार्दिक बधाई.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 9, 2018 at 5:46pm

भाई ब्रिजेश जी ..मुझे ये गीत बेहद पसंद आया हाथ ही अंधे हुये तब
धर्म क्या शमशीर का  ये पंक्ति तो कमाल की है ..बहुत बहुत बधाई 

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 9, 2018 at 10:45am

आ0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी बहुत सुंदर लिखा आपने । इसके लिए बधाई ।

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 12:10pm

आदरणीय ब्रजेश जी, अच्छी रचना की प्रस्तुति।  बधाई स्वीकार करें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
7 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service