For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...लाज की मारी न रोये द्रोपदी

इस ग़ज़ल के साथ ओबीओ परिवार को नवरात्री की शुभकामनाएं.. जय माता की
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन

हर कली में देवियों का वास हो
पत्थरों को दर्द का अहसास हो

फिर कोई अवतार आये भूमि पे
निश्चरों को मृत्यु का आभास हो

लाज की  मारी न रोये  द्रोपदी
अब नहीं वैदेही को वनवास हो

पीर की तासीर जाओगे समझ
लुट चुका कोई तुम्हारा खास हो

बात इतनी सी समझते क्यों नहीं
घात मिलती है जहाँ बिस्वास हो
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 1004

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 14, 2018 at 7:35pm

नमन संग आभार स्वीकार करें आदरणीय लक्ष्मण धामी जी...सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 14, 2018 at 7:35pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी बहुत बहुत आभार स्वीकार करें..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 14, 2018 at 3:03pm

आ. भाई बृजेश जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2018 at 11:03am

आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल प्रस्तुत की आपने। नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आपको भी। बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 12, 2018 at 12:41pm

ऐसा कह के शर्मिंदा न करें आदरणीय..मैं समझ गया था नजर की चूक है।

Comment by Samar kabeer on October 12, 2018 at 11:57am

क्षमा !

मैं 'घात' को "घाव" पढ़ गया ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 12, 2018 at 11:49am

हाँ आदरणीय घाव शब्द पुल्लिंग है लेकिन मैंने घात का प्रयोग किया है जो कि स्त्रीलिंग है।सादर

Comment by Samar kabeer on October 12, 2018 at 10:47am

उम्दा बदलाव, बधाई ।

'घात मिलती है जहाँ बिस्वास हो'

'घाव' शब्द पुल्लिंग है, इसलिये 'मिलती' को "मिलता" कर लें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 12, 2018 at 10:33am

आदरणीय समर जी बदलाव पे गौर फरमायें...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 10:44pm

स्वागत है आदरणीय सतविंद्र जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
2 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service