For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इतनी सी बात ( व्यंग्य कथा ) - डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव

भगवान किसी को लडकी न दे I लडकी दे तो उसे जवान न करे I जवान करे तो उसे खूबसूरत न बनाये I  एक अदद जवान, खूबसूरत और कुमारी कन्या का खुशनसीब बाप होने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ I पहले मैं समझता था की स्वस्थ और सुन्दर लडकी का पिता होना एक गौरव की बात है I इससे न केवल उसका विवाह करने में आसानी होगी बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उसे नर्तकी या अभिनेत्री भी बनाया जा सकता है और यदि उसमे कामयाबी न मिली  तो किसी प्राईवेट फर्म में रिसेप्शनिस्ट का चांस तो पक्का ही है  I लेकिन मेरे इन सभी सपनो पर उस समय पानी फिर गया जब जवानी की दहलीज पर कन्या के पांव रखते ही सौन्दर्य के अनगिनत पारखी किसी न किसी बहाने से मेरे घर के इर्द –गिर्द चक्कर काटने लगे I इसी के साथ उसे भरत-नाट्यम, कत्थक आदि सिखाने या टीवी सीरियल में अभिनय कराने अथवा रिसेप्शनिस्ट बनाने के मेरे सारे मंसूबे उस समय खाक में मिल गए जब रिहर्सल आदि के चक्कर में रात-रात भर उसे घर से बाहर रहने की अनुमति देने का प्रश्न मेरे सामने आया I मैं तो शायद वीमंस-लिब का समर्थक होने के कारण वैचारिक उदात्तता के रूप में मान भी जाता किन्तु मेरी घरेलू काल-भैरवी इसके लिए किसी कीमत पर भी तैयार नहीं हुयी I

       निदान यह निर्णय लिया गया कि किसी तरह जोड़-तोड़ कर चट मंगनी पट व्याह वाली नीति अपनायी जाये और जैसे-तैसे कर कन्या के हाथ पीले कर उससे अपनी जान छुड़ाई जाये I किन्तु इस काम को हमने जितना आसान समझ रखा था वह वैसा नहीं था I यहाँ भी कन्या की ख़ूबसूरती हमें दांव दे गयी I लोगो का तर्क था हर सुन्दर वस्तु में एक बड़ा ऐब होता है I बहरहाल लड़के वालों के संकेत पर अलीगंज हनुमान मंदिर, बुद्धा पार्क, भूतनाथ और हनुमान सेतु से लेकर कैसरबाग़ बारादरी तक इतने चक्कर लगाए जितने शायद ही किसी हीरोइन के खुदगर्ज बाप ने प्रोड्यूसरों के घर के लगाए होंगे  I मेरी इस विशाल पद-यात्रा के समक्ष गांधी जी की डांडी यात्रा बिल्कुल वाहियात थी I इतना ही नहीं कन्या के विभिन्न नवीन भंगिमाओ और पोजो के चित्र तथा मुख और देहयष्टि प्रदर्शन के अन्यान्य आयोजनों का जो भार मुझे उठाना पड़ा उसकी एक अलग ही दास्तान है I अब मुझे समझ में आ गया था कि पहले राजपूत अपनी कन्या को जन्मते ही क्यों मार डालते थे I  फिलहाल कन्या का पी आर ओ बनकर पिछले पांच साल में एक्शन के जूतो से हवाई स्लीपरो तक आ गया I पर कन्या के लिया माकूल वर तलाशने में मुझे कोई सफलता नहीं मिली I कभी सौभाग्य से किसी  मक्खीचूस ने कन्या पसंद की भी तो कम्पूटर और फ़ोर-व्हीलर के साथ भारी कैश की डिमांड के आगे दम तोड़ना पड़ा I

        पर अहा एक दिन मेरी लाटरी लग गयी और एक काठ का उल्लू मेरे हत्थे चढ़ गया I उसने बात ही बात में मेरा बेटी को अपनी बहू बनाना स्वीकार कर लिया I मेरे लिए यह सुखद आश्चर्य था I मैंने घर जाकर  आनन-फानन यह खबर श्रीमती जी को सुनायी और कहा  –‘ भागवान् ! आज भगवान ने हमारी सुन ली I अपनी बिटिया के लिया ऐसा वर मिला है कि रिश्तेदार देखकर रश्क करेंगे I बड़ा ही खाता-पीता घर है I शहर में एक-दो नहीं पूरे पांच मकान है I मोटर, गाडी, बँगला सब है I नौकर चाकर हैं I कोई कमी नहीं है I हमारी बिटिया तो बस वहां  राज करेगी और सबसे बड़ी बात उन्हें दान-दहेज़, रुपया-पैसा, साज-सामान कुछ नहीं चाहिए I कहते हैं भगवान् की दुआ से सब उनके पास है I उन्हें तो बस एक लक्ष्मी जैसी बहू चाहिए I’

‘अच्छा--- यह बात I ‘ - श्रीमती जी की बांछे खिल उठी –‘लड़का कैसा है , तुमने देखा ?’- उन्होंने कौतूहल से पूंछा I

‘अरे लड़का बिल्कुल हीरा है I ‘-मैंने मुस्कराते हुए कहा –‘इतना सीधा है कि गाय और गधे में फर्क करना मुश्किल हो  जाये I ‘

‘हाय राम --- सच कह रहे हो ?’- श्रीमती जी ने आश्चर्य का प्रदर्शन किया –“और--- क्या बाते हुयी ज़रा ढंग से बताओ I ‘

‘मैंने साफ़ साफ़ कह दिया है की शादी के बाद आपके यहाँ कोई गैस सिलिंडर नहीं फटेगा, आग नहीं लगेगी , मेंरी बेटी आत्महत्या नहीं करेगी I मेरी बेटी से कोई  नाजायज मांग नहीं होगी I उस पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा I विधवा होने  की स्थिति में जबरन सती नहीं बनाया जाएगा I ‘

‘हाय-हाय क्या कह रहे हो --? अच्छा बताओ उन्होंने क्या कहा I क्या सचमुच रूपया पैसा कुछ नहीं लेंगे?’-श्रीमती जी ने शंका प्रकट की I

‘अरे नहीं भाई, कह तो दिया I’ – मैंने समाधान करते हुए कहा –“ ये लोग वैसे नहीं है I ये साक्षात् देवता हैं I हमारी बेटी के तो भाग्य खुल गए हैं I  बात पक्की समझो I मैंने तो अपनी तरफ से हाँ कह दी है I ‘

         इतना कहना था की श्रीमती जी बेतहाशा भड़क उठी I झांसी की रानी की भांति उन्होंने मानो तलवार ही खींच ली और ललकारते हुए मुझसे कहा-‘खबरदार ! जो मेरी बेटी को उस चांडाल के घर फंसाया I ‘

         मैं मानो आकाश से गिरा I पल भर में  यह क्या हो गया I मैं अभी समझने का यत्न कर ही रहा था कि श्रीमती जी की आकाशभेदी आवाज सुनायी दी –‘वह समझता है हम उसके चंगुल में फंस जायेंगे I रुपया नहीं लेगा I पैसा नहीं लेगा I आदमी नहीं देवता है I हुंह ---‘

        मैं  निस्तब्ध होकर सुनता रहा I उस समय किंकर्तव्यविमूढ़ सा हो गया था I उधर श्रीमती जी का मेघ–गर्जन जारी था –‘मैं कहती हूँ तुम्हारे दिमाग में भुस भरा है I इतनी सी बात तुम्हारी समझ में नहीं आती I अरे अगर वह लड़का ऐसा हे सुलक्षण होता तो अब तक कुंवारा रहता I मैं तो कहती हूँ उसमे कोई भारी ऐब है I तभी उसके बाप को कुछ नहीं चाहिएI बड़ा आया है धर्मात्मा कहीं का I मैंने उसके जैसे हजार देखे है I जाओ कह दो उसके बाप से – मुझे नहीं  करनी उसके यहाँ अपनी बिटिया की शादी I  हमारी बेटी भले कुंवारी रह जाए पर उस पाखंडी के यहाँ नहीं जायेगी I

      श्रीमती जी इतना कहकर फफकते हुए रसोई घर में चली गयीं और मैं  मौन अवाक् वहीं खडा रहा I मेरा मन मुझे सचमुच धिक्कार रहा था की आखिर इतनी सी बात मेरी  समझ में क्यों नहीं आयी I  

 

(मौलिक व् अप्रकाशित )                                                                             

ई एस-१/४३६, सीतपुर रोड योजना

अलीगंज सेक्टर-ए , लखनऊ

Views: 959

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 31, 2015 at 3:03pm

आ० हरि प्रकाश जी

सादर आभार .

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 8:48pm

 जबरदस्त  सर , सुन्दर रचना ....... "मैंने मुस्कराते हुए कहा –‘इतना सीधा है कि गाय और गधे में फर्क करना मुश्किल हो  जाये I "

"‘अरे अगर वह लड़का ऐसा हे सुलक्षण होता तो अब तक कुंवारा रहता !" .....हार्दिक बधाई सर !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 28, 2015 at 6:56pm

आ० वर्मा जी

आपका शत शत आभार .

सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 28, 2015 at 6:54pm

आ० वंदना जी

आपका शत-शत आभार .

Comment by vandana on March 28, 2015 at 6:43pm

वास्तव में यही सोच है लोगों की.... यदि मांग न हो लड़का लायक तो है ? फिर भी यदि रिश्ता हो जाए तो लड़के की समझदारी को कमजोरी ही माना जाता है

सच तो यह  है कि दोनों तरफ संतुलन मिल जाए तो ईश्वर की कृपा ही माननी चाहिए |

बहुत बढ़िया व्यंग्य आदरणीय गोपाल सर 

Comment by Shyam Narain Verma on March 28, 2015 at 5:02pm
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 28, 2015 at 1:29pm

आदरणीय बृजेश जी

कृपया व्यंग्य को व्यंग्य की तरह ही लें. वैसे मध्यम वर्गीय मानसिकता यही है कि अगर कोई डिमांड नहीं है तो वजह क्या है ? कहानी किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित नहीं है .अपवाद तो हर जगह होते हैं .व्यंग्य ने  अगर गुदगुदाया हो तो उतना ही काफी है . पर आपकी बात भी ध्यान में रखूंगा. सादर .

Comment by बृजेश नीरज on March 28, 2015 at 7:36am
आदरणीय गोपाल जी लड़के में ऐब क्या था, यह तो मुझे भी समझ नहीं आया। क्या कोई मांग न रखने का मतलब खोट होना है?
बहरहाल इस व्यंग्य के लिए हार्दिक बधाई।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 27, 2015 at 11:49am

आ० जीतू भैय्या

सादर आभार .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 27, 2015 at 11:49am

मोहन सेठी जी

देहात की स्थिति अभी भी बदतर है . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service