(1)
कुत्ते संग सोते हुए, फोटो एक खिचवा के,
फेस बुक पे झट से, चेंप दी मैडम जी |
लाइक और कमेंट बीच एक श्रीमान ने,
लिख दिया काश होता, कुत्ता मैं मैडम जी |
उल्टा पुल्टा सोचो नहीं, कुछ भी यूँ लिखो नहीं,
ये तो मेरा टॉमी बेटा, बोल दी मैडम जी |
मौका देख चौका मारा, लगे हाथ पूछ डाला,
आप पे गया है या कि, बाप पे मैडम जी ||
(2)
चौकस चौबंद सदा, रहूँ मैं संभल कर,
जबसे पी हिस्सा हुए, ओ बी ओ के दल के ।
गुमसुम खोये-खोये, करे धरें कुछ न ये,
सदा पीछे पड़े रहें, कविता-ग़ज़ल के ।
बच्चे का तो पोटी किया, चड्ढी भी न बदलें जो,
चीख रहें रख दूँ मैं, दुनिया बदल के ।
सुधरी न लत यदि, प्राण दूँगी मार कूदी,
फिर सिर धुनियेगा, खाली हाथ मलके ||
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Comment
bagi ji aapki hasya rachna ko badhai deta hu
आदरणीय गणेश जी, आपने बहुत सुन्दर हास्य घनाक्षरी लिखी हैं दोनों बढ़िया हैं , हार्दिक बधाई
सही है भाई श्रीमती जी का सोचना भी ,
जो डाइपर नहीं बदल सकता , वो दुनिया क्या बदलेगा.......हाहाहा
आप पे गया है या कि, बाप पे मैडम जी ||...Hi ..hi hih ihiiii
बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर sir gggggggggggg maja aa gaya
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