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अम्न का माहौल हो आराम-ए-जाँ के वास्ते (129 )

ग़ज़ल( 2122 2122 2122 212 )
अम्न का माहौल हो आराम-ए-जाँ के वास्ते
जूँ कि गुल दरकार है इक गुलसिताँ के वास्ते
**
है शराब अच्छी अगर तो रिन्द ख़ाली कर सुबू
पर नमूना छोड़ दे पीर-ए-मुग़ाँ के वास्ते
**
है चना कोई अकेला भाड़ क्या फोड़ेगा वो
लोग होते हैं ज़रूरी कारवाँ के वास्ते
**
क्या फ़साने नज़्म होते हैं फ़क़त अल्फ़ाज़ से
सोज़-ए-दिल भी है ज़रूरी दास्ताँ के वास्ते
**
दर्द होता है दिलों में अश्क़ बहते हैं तभी
मुंतज़िर रहता है कोई कब फुगाँ के वास्ते
**
आजकल मौसम की बदली है फ़ज़ा कुछ इस तरह
फ़स्ल-ए-गुल करती हैं मिन्नत अब ख़िज़ाँ के वास्ते
**
इल्तज़ा है छोड़ दो ज़िद फ़ायदा कुछ भी नहीं
गुफ़्तगू है सिर्फ़ रह अम्न-ओ-अमाँ के वास्ते
**
मौज में अपनी गरजते और बरसते हैं सहाब
कौन करता है मदद अब्र-ए-रवाँ के वास्ते
**
फ़ायदे की कोशिशें हों यह सबक़ सीखें 'तुरंत '
क्या तिजारत ठीक है कार-ए-ज़ियाँ के वास्ते
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 12, 2021 at 11:08pm

आदरणीय  अमीरुद्दीन 'अमीर' साहेब 

प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 12, 2021 at 11:07pm

Aazi Tamaam, साहेब , आपकी 

प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन |  

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on February 12, 2021 at 8:01pm

'' क्या फ़साने नज़्म होते हैं फ़क़त अल्फ़ाज़ से

   सोज़-ए-दिल भी है ज़रूरी दास्ताँ के वास्ते "  चौथा शे'र ... लाजवाब। मुहतरम 'तुरंत' साहिब आदाब। मुबारकबाद पेश करता हूँ।

पाँचवा और छठा शे'र भी उम्दा हुए हैं। सादर। 

Comment by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 12:15am

बेहद ही खूबसूरत ग़ज़ल है बधाई स्वीकार करें आ० गहलोत जी

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 10, 2021 at 9:11pm

आदरणीय  Sushil Sarna  जी ,  इस प्रेरक प्रतिक्रिया एवं उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | 

Comment by Sushil Sarna on February 10, 2021 at 8:27pm

मौज में अपनी गरजते और बरसते हैं सहाब
कौन करता है मदद अब्र-ए-रवाँ के वास्ते

वाह आदरणीय गहलोत साहब वह क्या अशआर हैं। हमेशा की तरह खूबसूरत अहसासों की शानदार ग़ज़ल. . हार्दिक बधाई सर।

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