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1.

चिंतन की मथनी करे, मन का मंथन नित्य |

सार-सार तरै ऊपर , छूटे निकृष्ट कृत्य ||

छूटे निकृष्ट कृत्य , विचार में शुद्धि आए |

उज्ज्वल होय चरित्र, उत्तम व्यवहार बनाए||

मिले सटीक उपाय, समस्या को हो भंजन |

चिंता भी हो  दूर , करें जब मन में चितन ||

2.

अक्ल बिना बंधु देखो , सरै न एकौ काम |

सब जीवों में श्रेष्ठतम , मानव तेरा नाम||

मानव तेरा नाम, है यह विवेक सिखाती |

ऊँच-नीच की बात, मानवों को समझाती ||

इक जैसा हर जीव , बस जुदा-जुदा है शक्ल |

नर वानर में भेद, बताती है सिर्फ अक्ल ||

~~~~~~~~~~~~~

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by shalini rastogi on July 7, 2014 at 6:10pm

आदरणीय Saurabh Pandey जी , गिरिराज भंडारी जी,  laxman dhami जी ,बृजेश नीरजजी व शिज्जु शकूर जी ..आप सभी आदरणीय गुरु जनों एवं मित्रों का हार्दिक आभार की आपने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर रचना पर अपनी सुझाव व राय प्रस्तुत की ..मैं अवश्य ही सुधर हेतु प्रयास करुँगी .. 

साभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 5:53pm

आप भारतीय छन्द विधान समूह के आलेखों को एक बारी मन से देख जायें, आदरणीया.

कोशिशों के लिए सादर बधाइयाँ. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 1, 2014 at 10:33am

आदरनीय , भाव और विचार बहुत अच्छे लगे , कुन्डलियों की रचना के लिये बधाई । प्रवाह बाधित ज़रूर है , बृजेश भाई जी से सहमत हूँ ॥

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2014 at 9:48am

इस प्रयास पर हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on June 30, 2014 at 11:00pm
अच्छा प्रयास है। आपको बधाई।
गेयता कहीं कहीं पर बाधित है।
// समस्या को हो भंजन//..........समस्या का हो भंजन अधिक उपयुक्त होगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 30, 2014 at 9:25pm

दोनों कुण्डलिया पर प्रयास अच्छा है बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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