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नेताजी (कुण्डलिया-2) 

 

बीवी टॉपर ही मिले, नेताजी की चाह,
खुद थे इंटर पास वो, पीजी से गय ब्याह,
पीजी से गय ब्याह, किया था फर्जीवाड़ा,
ज्ञानी साथी पाय विरोधी खूब पछाड़ा,
नेतानी जी सभ्य, चतुर और बुद्धिजीवी,
घर हु पढाए पाठ, मिली थी ऐसी बीवी.

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 10:35am

आदरणीय सौरभ सर, आपकी हँसी इस प्रयास को सार्थक कर रही है.. आपका आभार.सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2012 at 10:22am

हा हा हा.. .

बहुत सुन्दर कुण्डलिया डॉ. प्राची. बहुत खूब ! .. :-))))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 10:01am

आपका आभार अरुण शर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 10:01am

इस व्यंगात्मक हास्य रचना को सराहने हेतु आभार आ. उमाशंकर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 10:00am

आदरणीया रेखा जी, आपने इस हास्य कुण्डलिया को पसंद किया इस हेतु आपका आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 9:59am

आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ला  जी, आपकी प्रतिक्रिया हेतु आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 9:58am

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, इस हास्य कुण्डलिया को पसंद करने हेतु आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 11:59am

क्या बात है आदरणीया प्राची जी , बधाई

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 7, 2012 at 10:24pm

आदरणीय प्राची जी बहुत ही सुन्दर व्यंग एवं हास्य पूर्ण कुंडली है

मजा आ गया

बधाई आपको

Comment by Rekha Joshi on August 7, 2012 at 5:58pm

आदरणीया डा प्राची जी ,अति सुंदर ,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

कृपया ध्यान दे...

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