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जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये || बहुत सार्थक बातें कही आपने , आदरणीय विजय भाई , आपको बहुत बधाइयाँ ॥
सही कहा आपने ,,,ज्ञान वही जिससे दूसरों को भी लाभ हो ,,,,आपकी रचना पर आपको बधाई आ.विजय शंकर जी |
आ 0 विजय सर !
क्या खूब कहा है -
क्या लाभ उस ज्ञान से
जो सिर्फ दिखाने , झाड़ने के लिए हो,
ओढ़ने - बिछाने के लिए न हो,
न आम जन तक पहुँच पाये ,
न सम्पूर्ण जन जीवन में उतर पाये ,
जिसके गूढ़ अर्थ हम आज भी न ढूंढ पाये ,
व्याख्या करते गए , जीवन में न उतार पाये
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