For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : रूबरू अब सलाम होता है… "राज"

वजन : 2122 1212 22

वक़्त किसका गुलाम होता है 

कब कहाँ किसके नाम होता है 

 

कल तलक जिससे था गिला तुमको 

आज किस्सा तमाम होता है 

 

खास है  जो  मुआमला अपना 

घर से निकला तो  आम होता है 

 

आज जग में सिया नहीं मिलती 

औ’ किताबों में राम होता है 

 

चिलमनो में मुहब्बतें कल थी 

अब तमाशा ये आम होता है 

 

अश्क कल दर्द के जो पीते थे 

हाथ में आज जाम होता है  

 

रास्ते तो करीब आ जाएं  

दूर कितना  मुकाम होता है  

 

रंजिशे तुम जहां कहीं पालो    

 मौन  उस पर  विराम  होता है 

 

‘राज’ ख्वाबों  में ही नहीं मिलती 

रूबरू अब सलाम होता है 

*******************************

Views: 1066

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 15, 2013 at 8:40pm

आदरणीय नादिर खान जी ग़ज़ल आपको पसंद आई  तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 15, 2013 at 8:39pm

आदरणीय रविकर भाई जी तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by नादिर ख़ान on July 15, 2013 at 1:13pm

बहू खूब, उम्दा गज़ल..........

Comment by रविकर on July 15, 2013 at 12:07pm

वाह क्या बात है दीदी-
शुभकामनायें-
सादर-


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 15, 2013 at 11:03am

आदरणीय डॉ .बाली जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति से ही ख़ुशी मिली उस पर आपकी प्रतिक्रिया ने मन खुश कर दिया मेरी लेखनी को संबल मिला हार्दिक आभार 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 15, 2013 at 10:30am

 क्या बात है राजेश कुमारी जी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल पेश की है आपने ॥खासकर ये शेर तो लाजवाब हुआ है...दाद कुबूल करें -----------

चिलमनो में मुहब्बतें कल थी 

अब तमाशा ये आम होता है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2013 at 7:58pm

आशीष नैथानी जी ग़ज़ल पसंद आई मेरी कलम को संबल मिला तहे दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2013 at 7:54pm

प्रिय शशि जी आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on July 12, 2013 at 6:45pm

चिलमनो में मुहब्बतें कल थी 

अब तमाशा ये आम होता है.....

वाह वाह बढ़िया ग़ज़ल !!

Comment by shashi purwar on July 6, 2013 at 11:20pm

waah sakhi sundar gajal bahut sundar hardik badhai aapko

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
9 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service