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सर माफी....मैं इस योग्य तो कतई नहीं हूँ कि आपकी रचना पर कोई टिप्पणी कर सकूँ लेकिन एक पाठक कि द्रिष्टि से इतना अवश्य कहूँगा कि सर मुझे इसमें लघुकथा के इतर एक आलेख का भाव ज्यादा प्रतीत हो रहा हैं...इसे अन्यथा न लें । सादर ।
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