For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम-पचीसी-भाग 4 (प्रीत-पगे दोहे)

प्रेम-पचीसी--भाग 4(प्रीत-पगे दोहे)

पाप कहूँ किसको भला, किसको समझूँ पुन्न ।
मैं जानूँ इतनी गणित, तुम बिन जीवन सुन्न ।। ...1

तुम मोहन की बाँसुरी, मैं राधा का हास ।
साथ तुम्हारा जब मिले, जीवन हो इक रास ।। ...2

दर्शन दे दो साँवरे, तरस रहे हैं नैन ।
मर जाऊँ मैं चैन से, जीती हूँ बेचैन ।।...3

सुध-बुध जी की खो गई, जबसे लागा हेत ।
मैं इक मछली साँवरे, विरहा तपती रेत ।।...4

बरजा तो माना नहीं, अब रोवे दिन-रैन ।
नैन मिलाकर खो दिया, दिल ने अपना चैन ।।...5

लगनी थी सो लग गई, उल्फ़त की यह आग ।
झुलस रहा है रात दिन, मेरे मन का बाग़ ।।...6

खुलना था सो खुल गया, मेरे मन का भेद ।
पाप न समझा प्रेम को, शर्म न कोई खेद ।।...7

तुम हरियाली कुंज की, मैं जंगल की आग ।
तुम तक आते लोग सब, मुझसे जाते भाग ।।...8

सबके रहते लग रहा, क्यों सूना संसार ।
क्या तुम ही हो साँवरे, इस जीवन का सार ।।...9

जग मेरे किस काम का, तुमरे बिन भरतार ।
तुम ही जीवन साँवरे, तुम मेरा संसार ।।...10

तुमरा मिलना साँवरे, निपट अजोगी बात ।
फिर भी तुमरी आस में, कलपूँ हूँ दिन रात ।।..11

प्रेम न देखे शुभ-अशुभ, प्रेम न देखे वार ।
जो पल बीते प्रेम मैं, पावन समझो यार ।।...12

तुमको देखूँ हर घड़ी, बैठूँ तुमरे पास ।
बात कहूँ जी की सखा, एक यही है आस ।।...13

मेरी भोली आस को, मत समझो अपराध ।
पाप नहीं मन में तनिक, संगत की बस साध ।।...14

इक तेरे विश्वास पर, उतरी हूँ मँझधार ।
पार लगाओ साँवरे, बन जाओ पतवार ।।...15

मैं तो नंगी हो गई, बीच सड़क बाज़ार ।
लाज रखेगा प्यार की, साँवरिया सरकार ।।...16

साजन तुम राजन भये, मैं हूँ एक फ़क़ीर ।
छत्र तुम्हारे शीश पर, मेरे पग ज़ंजीर ।।...17

पल-पल काटूँ साँवरे, दिन है एक पहाड़ ।
साँझ ढले इस डील को, पटकूँ खाय पछाड़ ।।...18

उगया सो दिन ढल गया, झरे हरे सब पात ।
नाता सच्चा प्रेम का, झूठी हर इक बात ।।...19

उलझी अपने जाल में, किसको दूँ क्या दोष ।
मैं विरहन इक माँकड़ी, धर लीना संतोष ।।...20

आस गँवाकर मेल की, बैठी बाँह पसार ।
मौत मिले जो साँवरे, पहनूँ कर गलहार ।।...21

तुम निर्मोही साँवरे, मुझको तुमरा मोह ।
चूस रहा है रात-दिन, मेरे प्राण बिछोह ।।...22

तुम उजला दिन साँवरे, मैं हूँ काली रात ।
तुमसे बतियाए जगत, मेरी ओझल बात ।...23

यार रिझाऊँ किस तरह, कैसा हो सिणगार ।
भस्म रमाऊँ देह पर, या फूलों के हार ।।...24

दासी पाँचों इंद्रिया, मन सबका सिरदार ।
दास तुम्हारा मन हुआ, तुम मेरे भरतार ।।...25
मौलिक और अप्रकाशित ।
©'खुरशीद' खैराड़ी जोधपुर 9413408422

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on September 10, 2017 at 10:30pm
जनाब खुर्शीद भाई साहब खूबसूरत दोहों के लिए मुबारक़बाद
Comment by Samar kabeer on September 7, 2017 at 10:36pm
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी जी आदाब,प्रेम-पचीसी भाग 4 भी बहुत उम्दा है, बधाई स्वीकार करें ।
बात प्रेम की हो रही है तो एक निवेदन करूँगा आपसे कि मंच के प्रति भी अपना प्रेम ज़ाहिर करें,और अपनी सक्रियता सिर्फ़ रचना पोस्ट करने तक ही सीमित न रखें,पिछली तीन प्रस्तुतियों पर आई टिप्पणियों का आपने जवाब बहुत कंजूसी से दिया,कृपया मंच पर अपनी पहली जैसी सक्रियता दिखाएँ,आप जैसे ज़हीन लोगों की सख़्त ज़रूरत है ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 7, 2017 at 10:12am
वाह वाह आदरणीय बहुत सुन्दर दोहे हुए..प्रेम रस से परिपूर्ण..उत्तम

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service