कौन देगा इस रिश्ते को नाम ?
लेखक -- सतीश मापतपुरी
अंक -- पाँच (अंतिम )
भीड़ में खलबली मच गयी थी. जबरन उन दोनों को बाहर खींच निकालने की योजना बनने लगी.
नाजिमा सोच नहीं पा रही थी कि अब उसे क्या करना चाहिए, किस तरह अपने मेहमानों की रक्षा करनी चाहिए, भीड़ में से दो-चार युवक आगे बढ़ने लगे,इसी बीच बड़े मियां आंगन में आ पहुचें. उन्हें देखते ही जमात बांधकर आये लोग सकपका गये. बड़े मियां जैसे ही नाजिमा के पास आये,नाजिमा उनके सीने से लगकर फफक पड़ी. हिचकियों के बीच उसने कहा--"आप अच्छे मौके पर आये हैं बड़े मियां . मैंने दो मजबूर भाई-बहन..... ." आगे वह नहीं बोल पायी, उसका गला रुंध गया.
" मैंने सब कुछ सुन लिया है बेटे. तुझपर कितना गुमान हो आया है,मैं बता नहीं सकता . रुसुलपुर की पाक जमीं ने रजिया पैदा किया है. इतने नामर्दों के साथ महज तुम एक को पैदा करके अल्लाह मियां ने सारा हिसाब-किताब भरपाई कर दिया है ." भीड़ की ओर उंगली दिखाकर बड़े मियाँ ने कहा. अब तक जिस किवाड़ के सामने पहरेदार बनकर नाजिमा खड़ी थी उसे बड़े मियां ने भड़भड़ा कर खोल दिया . अंदर का दृश्य देखकर उनका कलेजा फट गया. एक युवती जार-जार रो रही थी और एक युवक उसकी पीठ थपथपाकर मूक दिलासा दिए जा रहा था . दोनों ने कातर दृष्टी से बड़े मियाँ को देखा .
"डरो नहीं बेटे ." बड़े मियां ने दोनों को अपनी भुजाओं में भर लिया .
दोनों भाई-बहन को भीड़ के सामने लाकर बड़े मियां ने खड़ा कर दिया . फिर जुम्मन को घूरते हुए बोले--"आगे बढ़ो जुम्मन, सुना है लड़कियों को अगवा करने का नापाक शौक चर्राया है तुम पर? अरे नामर्द, इसके लिए भी हाथ भर का कलेजा चाहिए . दस आँखों के सामने से कोई पृथ्वीराज चौहान ही किसी संयुक्ता को अगवा कर सकता है और तारीख के लहूलुहान सीने में कील ठोंक सकता है, तुझ जैसे गीदड़ तो सिर्फ रातों में गाल बजा सकते हैं . नाजिमा, ये दोनों अब बड़े मियाँ के मेहमान हैं ."
नाजिमा सुधा को चुमकर बोली--"जाओ बहन,वहां बड़े मियां के साये में हिफाजत से रहोगी . हम गरीब हैं तुम्हारी हिफाजत का एकरार नहीं कर सकते ."
सुधा नाजिमा से एक बच्चे की तरह लिपट गयी--"पता नहीं तुमसे मेरा किस जन्म का रिश्ता है बहन ."
"रिश्ते तो इसी जन्म और वतन का है सुधा, पर मादरे वतन की यह बदनसीबी है कि इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जा सका . इस रिश्ते को काफिर और विधर्मी कह कर गाली दिया जाता है यहां ." नाजिमा बड़े क्षोम भरे स्वर में कहा .
"नारी शक्ति का तुम्हारे रूप में मैंने दर्शन किया है बहन . तेरा यह भाई तुझे लाख-लाख दुआयें दे रहा है ." युवक ने नाजिमा का हाथ पकड़ कर कहा . बड़े मियां के साथ-साथ दोनों भाई-बहन भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ने लगे . सुधा बार-बार पलट कर नाजिमा को देख रही थी और फिर लगभग भागते हुए जाकर नाजिमा से लिपट गयी .
((((( समाप्त)))))
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