1.
प्रकृति प्यारी
रुई बिछी धरती
ये बर्फ़बारी .
२.
मुखौटे छाए
जनमानस लुटा
चुनाव आये .
३.
उड़ते गिद्ध
फिर मारा आदमी
लो आया युद्ध .
४.
ये दुपहरी
अलसाया शरीर
जेठ का माह .
रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा
Comment
शानदार प्रस्तुति| बधाई| साभार,
सुंदर कृतित्व बधाई स्वीकार करें
adarniya mahoday ,
sahitya jagat main naya hoon, hiku pahli baar jaan raha hun. vidha kya hindi group join karne par sikhne ko milegi.
आदरणीया राजेश कुमारी जी व माननीय श्री योगराज प्रभाकर जी ( योगराज भाई साहिब आप ने ही मार्गदर्शन किया था मेरा की ये विधा मात्रा व लय की द्रष्टि से कैसी होने चहिये .तभी से मैं प्रयासरत हूँ ..गुरु सम भ्राता को सादर नमन )..आप दोनों प्रबुद्ध साहित्यकारों का धन्यवाद व नमन .
बहुत सुन्दर हाइकू, कथ्य और शिल्प की दृष्टि से उत्तम. हार्दिक बधाई डॉ अजय जी.
.
sabhi haaiku uttam hain varn paimaane ke aadhar par bhi khare utarte hain.bahut badhaai.
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