For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसकी आजमाईश (लघुकथा ) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी (51)

"देख लिया न तुमने , वह बूढ़ी ग़रीब औरत बेहोश पड़ी थी, कितनों ने उस पर ध्यान दिया ?" - पत्रकार ने वीडियो कैमरा बंद करते हुए मित्र से कहा ।

"हाँ, सही कहते हो, ये चचाजान ही रुके वहां। पानी उस बच्ची से लिया, पानी छिड़क कर उसे होश मे ला कर उसे बिठाया , कौन करता है आजकल इतना ?"

परिस्थिति पर एक आजमाईश करते हुए दृश्य को कैमरे में क़ैद करके दोनों उनके नज़दीक पहुंचे। हालचाल पूछते हुए नाम वगैरह पूछे । बच्ची ईसाई थी, बूढ़ी औरत हिन्दू और चचाजान मुस्लिम । जल था, जुड़ाव था, ज़िम्मेदारी थी, जज़्बात थे ! सड़क पर आवाजाही थी , मानवता यहाँ ठहरी ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 6:51am
इस रचना पटल पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई हेतु सभी पाठकगण को सादर हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 3, 2016 at 12:36am
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर स्नेहिल टिप्पणियों द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी व आदरणीया राजेश कुमारी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 2, 2016 at 8:38pm

एक बहुत अच्छी प्रेरणास्पद लघु कथा जिसकी अंतिम पंक्ति ने इसे और ऊँचाई बख्शी  है हार्दिक बधाई आपको आ० उस्मानी जी .

Comment by pratibha pande on January 2, 2016 at 6:35pm

 कसे हुए शिल्प के साथ अच्छी रचना है आदरणीय ,बधाई स्वीकार करें आप 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 1, 2016 at 5:17pm
मेरी इस रचना के भाव को महसूस कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया नीता कसार जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 1, 2016 at 5:15pm
तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब मेरी इस गद्य शतकीय रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए। गोष्ठी में व्यस्त रहते हुए हम एकदूसरे से टिप्पणियों के माध्यम से जुड़े रहे हैं रचना तो संकलन में भी पढ़ लेंगे । सादर
Comment by Samar kabeer on January 1, 2016 at 3:50pm
जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,आपकी रचना अच्छा सन्देश दे रही है,बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें|गोष्ठी में आपकी रचना तक नहीं पहुंच स्का इसका मलाल रहेगा |
Comment by Nita Kasar on January 1, 2016 at 2:08pm
जल थ जुड़ाव था ज़िम्मेदारी थी जज़्बात थे शब्दों का कुशल समायोजन।मानवता यहाँ ठहरी ।ज़िंदगी बचाने की जद्दोजहद ज़्यादा ज़रूरी ।बाकी तो ग़ैरज़रूरी बातें है ।बेहद सारगर्भित कथा के लिये बधाई आद०शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service