For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रमल मुसम्मन सालिम मख़्बून महज़ूफ़ / महज़ूफ़ मुसक्किन
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन/फ़ेलुन
2122 1122 1122 112 / 22

ये सफ़र है बड़ा दुश्वार ख़ुदा ख़ैर करे
राह लगने लगी दीवार ख़ुदा ख़ैर करे [1]

इस किनारे तो सराबों के सिवा कुछ भी नहीं
देखिए क्या मिले उस पार ख़ुदा ख़ैर करे [2]

लोग खाते थे क़सम जिसकी वही ईमाँ अब
बिक रहा है सर-ए-बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे [3]

ये बग़ावत पे उतर आएँगे जो उठ बैठे
सो रहें हाशिया-बरदार ख़ुदा ख़ैर करे [4]

कौन सी अगली तबाही की है आमद आमद
बस कि आने को है अख़बार ख़ुदा ख़ैर करे [5]

ज़ख़्म मिल जाए नया दिल को तो पाए तस्कीं
ख़ाली जाए न तिरा वार ख़ुदा ख़ैर करे [6]

भिड़ तो बैठे हैं यूँ मौजों से हम उन की ख़ातिर
ख़स्ता कश्ती है न पतवार ख़ुदा ख़ैर करे [7]

शाइरी के लिए इल्हाम जो हमने माँगा
दर्द के लग गए अम्बार ख़ुदा ख़ैर करे [8]

दिल मेरा ग़म से यूँ बेहिस जो हुआ जाता है
कैसे आएँगे अब अश'आर ख़ुदा ख़ैर करे [9]

है अलमनाक ये तन्हाई का आलम 'शाहिद'
ख़ुद से भी बंद है गुफ़्तार ख़ुदा ख़ैर करे [10]
(मौलिक व अप्रकाशित)
–––––––––––––––––––––––
कुछ कठिन शब्दों के अर्थ:
1. सराब = मृगतृष्णा
2. हाशिया-बरदार = वो लोग जो समाज के हाशिये पर हैं और अधिकारहीन हैं
3. आमद आमद = आने की ख़बर
4. इल्हाम = ईश्वरीय ज्ञान या प्रेरणा
5. बेहिस = सुन्न, एहसास कर पाने में असमर्थ
6. अलमनाक = अति दुखद
7. गुफ़्तार = बात-चीत

Views: 1031

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on June 6, 2020 at 10:47pm

आदरणीय रूपम कुमार 'मीत' साहिब, ग़ज़ल तक आने के लिए और अपनी अमूल्य उत्साहवर्धक टिप्पणी देने के लिए आपका हार्दिक आभार। आपका दिन भी शुभ हो, और आप ख़ूब तरक़्क़ी करें।

Comment by सूबे सिंह सुजान on May 3, 2020 at 9:10pm

वाह यह तो बहुत खूबसूरत है 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on April 3, 2020 at 11:25am

आदरणीय योगराज प्रभाकर साहिब, सादर नमन। मेरी इस ग़ज़ल को फ़ीचर ब्लॉग में शामिल करने के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्र गुज़ार हूँ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 25, 2020 at 2:12pm

आदरणीय नादिर ख़ान साहिब, आपकी ज़र्रा-नवाज़ी के लिए तह-ए-दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ।

Comment by नादिर ख़ान on March 25, 2020 at 1:08pm

जनाब रवि भसीन साहब उम्दा गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 24, 2020 at 7:22pm

आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम, सादर प्रणाम! फ़ोन पर ग़ज़ल की इस्लाह करने के लिए और ग़ज़ल को अपना आशीर्वाद देने के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ, सर!

Comment by Samar kabeer on March 24, 2020 at 6:18pm

जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, ग़ज़ल अच्छी हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 23, 2020 at 3:28pm

कलम चलती रहे 

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 23, 2020 at 12:02am

आदरणीय सूबे सिंह सुजान साहिब, ग़ज़ल को ग़ौर से पढ़ने के लिए, पसंद करने के लिए, और ज़र्रा-नवाज़ी के लिए आपका बेहद शुक्रगुज़ार हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on March 22, 2020 at 10:30pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है ।कुछ शेर बहुत पसंद आये हैं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
17 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
17 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
18 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
22 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service