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आइये फिर आरज़ू का जलजला दिल में उठा(८४ )

(2122 2122 2122 212 )

आइये फिर आरज़ू का जलजला दिल में उठा

आइये फिर दिल की वादी में चली बाद-ए-सबा

**

आइये फिर वस्ल का पैग़ाम ले आई हवा

आइये फिर से क़मर भी बादलों में छुप गया

**

आइये फिर से जवाँ है रात भी माहौल भी

आइये फिर आसमाँ पे छा गई काली घटा

**

आइये फिर मरमरी बाँहों में हमको लीजिये

आइये फिर ख़ुशबुओं ने दिल मुअत्तर कर दिया

**

आइये फिर कश्तियाँ ग़म की डुबोने के लिए

आइये फिर हों ख़ुशी की आमदों का सिलसिला

**

आइये फिर हसरतों का कारवाँ आगे बढ़े

आइये फिर से फले दोनों ने जो की थी दुआ

**

आइये फिर फ़स्ल-ए-गुल ने ज़ीस्त में दी दस्तकें

आइये फिर बह्र-ए-दिल में ज्वार-भाटा है उठा

**

आइये फिर से रिदा-ए-गुल चमन में बिछ गई

आइये फिर तितलियों ने राग छेड़ा प्यार का

**

आइये फिर से 'तुरंत' अब दूरियाँ मुमकिन नहीं

आइये फिर तिश्नगी की हो गई है इन्तिहा

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

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