For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कॉल बेल बजी।शुभ्रा ने द्वार खोला।बाबा को देख वह सकते में आ गयी।वह एक अनिर्णय की स्थिति में फ़ंस गयी थी।अजीब कशमकश थी। वह बाबा को अंदर आने के लिये कहने का साहस नहीं जुटा पा रही थी क्योंकि अंदर का दृश्य बाबा बर्दास्त नहीं कर पायेंगे|

शुभ्रा ने जैसे तैसे खुद को संयमित किया और चरण स्पर्श कर उसने भर्राई आवाज में पूछ ही लिया,

"बाबा आप यहाँ अचानक, बिना कोई पूर्व सूचना?"

घोष बाबू ने बेटी के प्रश्न को अनसुना करते हुए अपना सवाल दाग दिया,

"ये अंदर से कैसी आवाजें आ रही हैं? मर्द लोगों के ठहाके और अट्टहास?"

"बाबा मीटिंग चल रही है।"

"कैसी मीटिंग?"

"नयी फ़िल्मके प्रमोशन के लिये।"

"ये शराब और सिगरेट की बदबू?"

"जी बाबा, इसके बिना ये मीटिंग नहीं होतीं।"

"क्या तुम भी?"

"नहीं बाबा, अभी तक तो नहीं।"

"लेकिन तुम्हारे घर में यह सब।एक ब्राह्मण परिवार में?"

"बाबा इस क्षेत्र में यह सब अनिवार्य है।मैं अभी यह सब होटल में अफोर्ड नहीं कर सकती इसलिये घर पर।"

"कौन लोग हैं ये?"

"फ़िल्म के निर्देशक, फोटोग्राफर,पत्रकार,सह कलाकार आदि हैं।"

"मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा?"

"बाबा अभी आप जाइये अपने होटल।मैं कल आपको सब समझा दूंगी।"

"मेरी सुबह पाँच बजे की फ़्लाइट है।"

"बाबा आपका और माँ का ही यह सपना था कि मैं इस क्षेत्रमें अपना भाग्य आजमाऊं।"

"हाँ मानता हूँ।तुम्हारे टेलेंट और रुचि को देखते हुए, तुम्हें एन एस डी  भेजा।नृत्य सिखाया,घुड़ सवारी, तैरना क्या क्या नहीं सिखाया। इसके बाद भी यह सब करना?"

"बाबा मैं तो फिर भी लकी हूँ।इससे भी अधिक करना पड़ता है।"

"मतलब?"

"यहाँ लोग नये कलाकारों का शारीरिक शोषण तक करते हैं।"

"नहीं शुभ्रा, मेरा मन तुम्हें यहाँ एक पल भी छोड़ने को नहीं कर रहा।तुम अभी मेरे साथ वापस चलो।"

"बाबा ये तो अब एकदम असंभव बात है।मेरे लिये तो ये जीवन मरण का प्रश्न बन चुका है।अब तो शीघ्र ही वह समय आने वाला है जब लोग मुझे पलकों पर बिठायेंगे| मैं बुलंदियों को छूने वाली हूँ।"

"लेकिन इस कीमत पर?"

"बाबा कीमत का आँकलन खरीददार  नहीं करता।कीमत का निर्धारण विक्रेता ही करता है।"

मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on May 11, 2020 at 11:43am

हार्दिक आभार आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

Comment by नाथ सोनांचली on May 11, 2020 at 7:36am

आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। सच कहा आपने। अच्छाव्यंग्य कसा आपने या यूँ कहिये की समाज की सच्चाई दिखा दी आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 9, 2020 at 5:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on May 9, 2020 at 2:48pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service