कॉल बेल बजी।शुभ्रा ने द्वार खोला।बाबा को देख वह सकते में आ गयी।वह एक अनिर्णय की स्थिति में फ़ंस गयी थी।अजीब कशमकश थी। वह बाबा को अंदर आने के लिये कहने का साहस नहीं जुटा पा रही थी क्योंकि अंदर का दृश्य बाबा बर्दास्त नहीं कर पायेंगे|
शुभ्रा ने जैसे तैसे खुद को संयमित किया और चरण स्पर्श कर उसने भर्राई आवाज में पूछ ही लिया,
"बाबा आप यहाँ अचानक, बिना कोई पूर्व सूचना?"
घोष बाबू ने बेटी के प्रश्न को अनसुना करते हुए अपना सवाल दाग दिया,
"ये अंदर से कैसी आवाजें आ रही हैं? मर्द लोगों के ठहाके और अट्टहास?"
"बाबा मीटिंग चल रही है।"
"कैसी मीटिंग?"
"नयी फ़िल्मके प्रमोशन के लिये।"
"ये शराब और सिगरेट की बदबू?"
"जी बाबा, इसके बिना ये मीटिंग नहीं होतीं।"
"क्या तुम भी?"
"नहीं बाबा, अभी तक तो नहीं।"
"लेकिन तुम्हारे घर में यह सब।एक ब्राह्मण परिवार में?"
"बाबा इस क्षेत्र में यह सब अनिवार्य है।मैं अभी यह सब होटल में अफोर्ड नहीं कर सकती इसलिये घर पर।"
"कौन लोग हैं ये?"
"फ़िल्म के निर्देशक, फोटोग्राफर,पत्रकार,सह कलाकार आदि हैं।"
"मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा?"
"बाबा अभी आप जाइये अपने होटल।मैं कल आपको सब समझा दूंगी।"
"मेरी सुबह पाँच बजे की फ़्लाइट है।"
"बाबा आपका और माँ का ही यह सपना था कि मैं इस क्षेत्रमें अपना भाग्य आजमाऊं।"
"हाँ मानता हूँ।तुम्हारे टेलेंट और रुचि को देखते हुए, तुम्हें एन एस डी भेजा।नृत्य सिखाया,घुड़ सवारी, तैरना क्या क्या नहीं सिखाया। इसके बाद भी यह सब करना?"
"बाबा मैं तो फिर भी लकी हूँ।इससे भी अधिक करना पड़ता है।"
"मतलब?"
"यहाँ लोग नये कलाकारों का शारीरिक शोषण तक करते हैं।"
"नहीं शुभ्रा, मेरा मन तुम्हें यहाँ एक पल भी छोड़ने को नहीं कर रहा।तुम अभी मेरे साथ वापस चलो।"
"बाबा ये तो अब एकदम असंभव बात है।मेरे लिये तो ये जीवन मरण का प्रश्न बन चुका है।अब तो शीघ्र ही वह समय आने वाला है जब लोग मुझे पलकों पर बिठायेंगे| मैं बुलंदियों को छूने वाली हूँ।"
"लेकिन इस कीमत पर?"
"बाबा कीमत का आँकलन खरीददार नहीं करता।कीमत का निर्धारण विक्रेता ही करता है।"
मौलिक, अप्रकाशित एवम अप्रसारित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।
आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। सच कहा आपने। अच्छाव्यंग्य कसा आपने या यूँ कहिये की समाज की सच्चाई दिखा दी आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी। आदाब।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।
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