For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लगभग दो महीने होने को आये थे इस भयानक त्रासदी को और राकेश इस पूरे समय में लोगों की मदद के लिए हर समय तैयार था. दिन हो या रात, सुबह हो या शाम, बस किसी भूखे या परेशान के बारे में पता चलते ही वह अपनी टीम या कभी कभी अकेले ही निकल पड़ता था.
"भाई, तुम तो हर तरफ छा गए हो, समाचार पात्र हो या लोकल टी वी, जिसे देखो वही तुम्हारी बात कर रहा है", दोस्त का फोन आया तो वह मुस्कुरा पड़ा.
"देखो यार, ऐसा मौका जीवन में जब भी आये, अपनी तरफ से सब कुछ झोंक देना चाहिए. आखिर हम कुछ लोगों की तो मदद करने में सक्षम हैं ही ", उसने शालीनता से जवाब दिया.
"मदद तो बहुत से लोग कर रहे हैं लेकिन राकेश तुमने तो अपने पास की सारी बचत ही लगा दी इसमें, इतना करने की हिम्मत सबमे नहीं होती", दोस्त ने जब यह कहा तो उसे सचमुच अच्छा लगा.
"जो भी हो, लोगों की मदद कर पा रहा हूँ, बस इसी की संतुष्टि है. अच्छा अब निकलना है, एक बस्ती से फोन आया था, वहां खाना पहुंचाने जा रहा हूँ, फिर बात करेंगे", उसने फोन रखा और खाने के पैकेट को बैग में रखने लगा.
स्कूटर पर चलते समय उसके दिमाग में पिछले कुछ हफ़्तों की बातें और दोस्त से अभी हुई बात घूम रही थी. थोड़ा आगे जाने पर एक सूनी गली में उसे एक फटा कपड़े पहने व्यक्ति दिखा तो उसने अपनी स्कूटर रोक दी. वह डिक्की में से खाने का एक पैकेट निकाल कर उसकी तरफ बढ़ रहा था तभी उसने देखा कि उस व्यक्ति ने अपने झोले से एक डब्बा निकाला. उस डब्बे में से उस व्यक्ति ने रोटी निकाली और खाने ही जा रहा था कि सामने एक कुत्ता आकर बैठ गया और उसने वह रोटी उस कुत्ते को बढ़ा दी. राकेश के कदम कुछ पल के लिए ठिठक गए, फिर उसने खाने का पैकेट उस फटेहाल व्यक्ति को इज्जत से पकड़ा दिया.
बस्ती की तरफ जाते समय उसके दिमाग में छन्न से कुछ टूटा और एक पर्त धीरे धीरे पिघल रही थी जो पिछले कुछ समय से समाचार पत्रों ने और लोगों की तारीफ़ ने चढ़ा दी थी.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 425

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 26, 2020 at 12:08pm

इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on May 26, 2020 at 12:07pm

इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी

Comment by विनय कुमार on May 26, 2020 at 12:07pm

इस सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by Samar kabeer on May 25, 2020 at 6:22am

जनाब विनय कुमार जी आदाब, अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 24, 2020 at 1:27pm

आ. भाई विनय जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on May 23, 2020 at 9:11am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बहुत सारगर्भित एवम समयानुकूल बेहतरीन लघुकथा।जो अपने मुँह का निवाला भी किसी को देने की हिम्मत रखता है। वही असली सेवा कर रहा है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service