For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने हिसार-ए-फ़िक्र से बाहर बशर निकल (११७ )

(221 2121 1221 212 )
अपने हिसार-ए-फ़िक्र से बाहर बशर निकल
दुनिया बदल गई है तू भी अब ज़रा बदल
**
रफ़्तार अपनी वक़्त कभी थामता नहीं
अच्छा यही है वक़्त के माफ़िक तू दोस्त ढल
**
पीछे रहा तो होंगी न दुश्वारियां ये कम
चाहे तरक़्क़ी गर तो ज़माने के साथ चल
**
रिश्ते निभाने के लिए है सब्र लाज़मी
रखना तुझे है गाम हर एक अब सँभल सँभल
**
तूफ़ान में चराग़ की मानन्द क्यों जले
जलना ही गर तुझे है तो मानन्द-ए-मिह्र जल
**
लम्हात जो मिलें उन्हें भरपूर जी लें आप
वापस न लौटता है कभी कोई बीता पल
**
बेकार क्यों नुजूमियों के पास जा रहा
होनी जहाँ में आज तलक है रही अटल
**
क्यों रहगुज़ार-ए-जुर्म को चुनता है ऐ बशर
क्यों भूलता है इसका बुरा होगा यार फल
**
कल से जनाब आज का रिश्ता जुड़ा हुआ
जो आज है वही तो बनेगा 'तुरंत ' कल
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 1, 2020 at 11:50am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सराहना के लिए सादर आभार एवं नमन | 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2020 at 7:44am

आ. भाई गिरधारी सिह जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 30, 2020 at 4:28pm

आपकी हौसला आफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया Dimple Sharma  जी  

Comment by Dimple Sharma on July 30, 2020 at 8:32am

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत'तुरंत'जी नमस्ते, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on July 29, 2020 at 11:23pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहेब आदाब | हौसला आफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया | 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 29, 2020 at 8:02pm

आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत जी 'तुरंत' आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। मक़्ते पर हक़ीर राय पेश करना चाहता हूँ जनाब,

//कल से जनाब आज का रिश्ता जुड़ा हुआ

   जो आज है वही तो बनेगा 'तुरंत ' कल//

पहले मिसरे में 'है' की कमी महसूस हो रही है अगर मुनासिब लगे तो यूँ कर के देख सकते हैं :

"कल से जनाब आज का रिश्ता जुड़ा है यूँ 

  जैसा करोगे आज भरोगे 'तुरंत ' कल" 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदमी दिल का वह बुरा तो नहीं सिर्फ इससे  खुदा  हुआ  तो नहीं।। (पर जमाने से कुछ…"
43 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ, मेदानी जी, कृपया देखेंकि आपके मतल'अ में स्वर ' उका' की क़ैद हो गयी है, अत:…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
12 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service