2122 / 2122 / 2122 / 212
हो रही है दिल पे खट-खट मौत की दस्तक है क्या
जा रहे वापस या उसके क़दमों की ठक-ठक है क्या
फिर उठा है हर तरफ़ ये इक धुआँ सा आज क्यों
आग जिससे घर जला था बढ़ गई दिल तक है क्या
भूल बैठा है मुझे तू सुन के या अन्जान है
मेरी आहों की रसाई आज भी तुझ तक है क्या
गुम हुआ हूँ जबसे मैं उसके ख़याल-ओ-ख़्वाब में
बोलता हूँ जब भी कुछ ये सुनता हूंँ बक-बक है क्या
गर गिला मुझसे है कोई कहने में क्या बात है
मैं तेरा अपना हूँ भाई इसमें भी कुछ शक है क्या
जाने-जाँ मिलने को तुझ से कब से मैं बेताब हूँ
दिल में ये मेरी तरह ही तेरे भी धक-धक है क्या
हो रहा है शोर बरपा हर तरफ़ ये क्या 'अमीर'
उठ के तूफ़ाँ से लहर भी आ गई घर तक है क्या
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जनाब रूपम कुमार जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे-दिल से शुक्रिया। । सादर।
मुहतरम जनाब आशीष यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये दिल की गहराईयों से शुक्रिया। सादर।
Very good अशआरों से सजी उम्दा ग़ज़ल पर congratulations.
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी मुबारक आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।
मुहतरमा डिम्पल शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।
जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय अमीरुद्दीन'अमीर'साहब आदाब, वाह बहुत ख़ूब, हर शेर कमाल , खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।
आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।
जनाब बृजेश कुमार 'बृज' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।
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