बह्रे-रमल मुसद्दस सालिम
2122 / 2122 / 2122
यूँ ख़यालों में सनम आने लगे हैं
दिल को मेरे अब वो महकाने लगे हैं [1]
देखते हैं मेरी जानिब इस तरह से
राज़-ए-दिल जैसे वो बतलाने लगे हैं [2]
इश्क़ से अंजान हैं जो लोग अब तक
है मुहब्बत क्या ये समझाने लगे हैं [3]
वो सियासत-दाँ वतन जिनको था सौंपा
देश की मीरास बिकवाने लगे हैं [4]
वो रहा करते हैं आँखों में कुछ ऐसे
जागते में ख़्वाब दिखलाने लगे हैं [5]
हो रहे हैं कू-ब-कू उनके ही चर्चे
इसलिए वो ख़ुद पे इतराने लगे हैं [6]
ढूँढ लाओ फिर बहारों को 'महक' तुम
बाग़-ए-दिल के फूल मुरझाने लगे हैं [7]
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
––––––––––––––––––––––
कठिन शब्दों के अर्थ:
1. मीरास = पैतृक सम्पत्ति, धरोहर
2. कू-ब-कू = गली गली
Comment
आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी नमस्कार! ग़ज़ल तक आने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपकी तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
आदरणीया Madhu Passi 'महक' साहिबा, बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने! ओबीओ के मंच पर आपको इस पहली ग़ज़ल की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई और भविष्य के लिए अनेकों शुभकामनाएँ!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online