For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दरवाजा (लघुकथा)

" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।" 

बेटे की रोटी पर मक्खन रखते हुए अचानक बर्तन माँजती बारह साल की बेटी छुटकी को देख सुधा के हाथ पल को ठिठके और फिर चलने लगे।वापसी में छुटकी की पीठ थपथपा काम में लग गई ।

माँ बेटी अभी थाली लेकर बैठीं थी कि पति की आवाज़ आई,

" कहां हो?पानी तो पिलाओ।खाने का कोई समय है कि नहीं जब तब थाली लिए बैठ जाती हो।यही छुटकी सीख रही है।" 

पिता की आवाज़ सुनते ही छुटकी ने जल्दी से थाली वापिस सरका दी।

सुधा ने भी जवाब के लिए तैयार होठों को चुप करा दिया। 

" माँ, कल परीक्षा है,पढ़ लेती हूँ।"

" ठीक है बिटिया,कलम कागज़ है न।हां माँ, भाई की पुरानी कलम है मेरे पास।

सुधा ने फिर एक बार दिल से आती दस्तक से मुँह फेर लिया।

देर रात काम खत्म करके लेटी ही थी कि पति शुरू होगए।" मंहगाई बहुत बढ़ गई है।थोडा़ खर्चा कम करो।तेल क्रीम बंद करो।" 

आंखों के गुस्से को जल्दी से आँसुओं से छिपा लिया।सुबह छुटकी को स्कूल जाते देख पति बोले,

"पेपरों के बाद घर बैठ,फालतू फीस...दहेज़ भी जोड़ना है।"

"छुटकी को घर के सारे काम सिखाओ।"

इस बार सुधा दिल से आती दस्तक रोक नहीं पाई।तेज आवाज़ के साथ सब दरवाजे खुल गए।

"छुटकी सरकारी स्कूल में पढ़ती है ,कोई खर्चा नहीं है।यह स्कूल जाएगी।अगर मजबूरी हुई तो सूरज को सरकारी स्कूल में डाल देंगें।मैं भी नौकरी कर सकती हूँ।दोनों ही बच्चे पढेंगें"

।छुटकी सालों से बंद दरवाजे को भड़कभडा कर खुलता देख हैरान थी।

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rachna Bhatia on November 3, 2020 at 8:37pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सुधार करने का प्रयास करती हूँ। हौसला बढ़ाने के लिए आपका आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 3, 2020 at 8:19pm

अच्छी लघु कथा है आदरणीया लेकिन इस शानदार विषय के साथ थोड़ी कसावट की जरुरत और प्रतीत होती है।

Comment by Rachna Bhatia on October 31, 2020 at 3:43pm
आदरणीय समर कबीर सर् आदाब। हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आगे से और ध्यान रखूँगी। सादर।
Comment by Samar kabeer on October 30, 2020 at 2:42pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, लघुकथा का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

जनाब तेजवीर सिंह जी से सहमत हूँ ।

Comment by Rachna Bhatia on October 28, 2020 at 6:58pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।जी सही कहा आपने। आगे से ध्यान रखूँगी।

बेहद शुक्रिय:

Comment by TEJ VEER SINGH on October 28, 2020 at 6:18pm

हार्दिक बधाई आदरणीय रचना भाटिया जी।बहुत सुंदर संदेश प्रद लघुकथा।आपकी लघुकथा का प्रथम वाक्य दो पात्रों द्वारा बोला गया है लेकिन आपने उसे एक ही पंक्ति में बिना किसी विभाजन चिंन्ह के  एक सार लिखा है। जो कि सही नहीं लगता।

" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।" 

इसे इस प्रकार लिखा जाना चाहिये।

" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।“

“हाँ,देती हूँ।" 

हर पात्र का डॉयलाग अलग अलग पंक्ति में लिखना उचित होता है भले ही वह डॉयलाग कितना ही छोटा हो।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
11 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
13 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
18 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
24 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
30 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
31 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
39 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
39 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
40 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
41 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
56 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service