For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 212 212 212

1

दोस्तों के बिना ज़िन्दगी दोस्तो
इक कहानी उदासी भरी दोस्तो
2
बीच में फ़ासले ला के दौलत के क्यों
आज़माने लगी दोस्ती दोस्तो
3
हाथ में हाथ डाले खड़ी दोस्ती
गर्दिश-ए-दौराँ से लड़ के भी दोस्तो
4
कारवाँ अज़्म का रोके रुकता नहीं
राह चाहे हो मुश्किल भरी दोस्तो
5
हार बैठे हैं दिल कू-ए-उल्फ़त में हम
अब न खेलेंगे बाजी नई दोस्तो
6
सुब्ह होते ही बेहिस जहाँ के सितम
ढूँढ लेंगे हमारी गली दोस्तो
7
लब से कुछ भी नहीं कह सके थे मगर
फिर भी समझा था वो अनकही दोस्तो
8
दर्द सहते रहे अश्क बहते रहे
पर नहीं ला सके लब प सी दोस्तो

9
रात लम्बी भी थी और तारीक भी
जिससे 'निर्मल' बख़ूबी लड़ी दोस्तो

मौलिक व अप्रकाशित

रचना निर्मल

Views: 621

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 21, 2020 at 6:40am

आ. रचना जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Rachna Bhatia on November 19, 2020 at 6:56pm

आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी बेहद शुक्रिय:।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 17, 2020 at 8:34pm

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आदरणीया...बधाई

Comment by Rachna Bhatia on November 12, 2020 at 5:12pm

आदरणीय समर कबीर सर् आदाब। जी सर्, 'पर शिकायत किसी से न की दोस्तो' रख लेती हूँ। बेहद शुक्रिय: सर्।

Comment by Samar kabeer on November 12, 2020 at 11:50am

'आह भी इक न उसने भरी दोस्तो'

इस मिसरे को यूँ कर लें:-

'आह भी इक न हमने

भरी दोस्तो'

या

'पर शिकायत किसी से न की दोस्तो'

Comment by Rachna Bhatia on November 10, 2020 at 9:31pm
आदरणीय समर कबीर सर् आदाब।सर् ग़ज़ल तक आने तथा हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ। आठवें में कहना चाह रही थी कि
'मुँह से उफ़ भी नहीं निकली '।
शायद मैं अपनी बात ठीक से कह नहीं पाई।
सर्,सुधार के लिए क्या यूँ कह सकते हैं
'आह भी इक न उसने भरी दोस्तो'
Comment by Samar kabeer on November 10, 2020 at 8:15pm
मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।
8वें शैर का सानी समझ में नहीं आया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
4 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
15 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service