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ग़ज़ल (तू वतन की आबरू है तू वतन की शान है)

2122- 2122- 2122- 212

तू वतन की आबरू है तू वतन की शान है

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत तुझपे दिल क़ुर्बान है

तेरी जुर्रत से  हुआ नाकाम दुश्मन हिन्द का

नाज़ करता आज तुझपे सारा हिन्दुस्तान है 

हैं मुबारक तेरी गलियांँ, गाँव तेरा, घर तिरा 

मरहबा माँ बाप हैं वो जिनकी तू संतान है

ईद हो या हो दिवाली सरहदों पर ही रहा 

मेरी धड़कन मेरी साँसों पर तेरा अहसान है 

मुल्क पर होते फ़िदा जो वो कभी मरते नहीं 

हर सिपाही की ये हसरत बस यही अरमान है 

याद फिर आया तेरी लेकर शहादत का ये दिन 

आँखों से बहता है दरिया दिल मेरा वीरान है 

ये अक़ीदत की ख़िराज अब पेश करता है 'अमीर' 

जान-ओ-तन क़ुर्बान मेरा तुझपे सब क़ुर्बान है

"मौलिक व अप्रकाशित" 

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Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 26, 2021 at 8:21pm

जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आपका मशविरा और मशविरे का अंदाज़ भी ख़ूब है। सादर। 

Comment by Aazi Tamaam on March 25, 2021 at 9:30pm

सादर प्रणाम अमीर जी वाह क्या ग़ज़ल कही है मज़ा आ गया

क्या शैर है

"हैं मुबारक तेरी गालियाँ गाँव तेरा घर तिरा

मरहबा माँ बाप हैं वो जिनकी तू संतान है"

सादर

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 29, 2021 at 9:48pm

जनाब कृष मिश्रा 'जान' साहिब गोरखपुरी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 6:02pm

देश के वीर सपूतों के नाम लाज़वाब ग़ज़ल हुई है आ.अमीरुद्दीन सर जी शेर दर शेर दाद पेश करता हूं।सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 15, 2020 at 1:44pm

जनाब लक्षमण धामी भाई 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के बेहद मशकूर हूँ। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 15, 2020 at 1:09pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 15, 2020 at 12:16pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया। सादर। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 14, 2020 at 10:07pm

बड़ी ही सुन्दर और भावपूर्ण ग़ज़ल कही आदरणीय..

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