नंगे पाँव
ठंड मे ठिठुरते
फुला फुला के गुब्बारे बेचते
किसी शहरी बचपन को देखो
तो मोल भाव मत करना
शुक्र मनाना
कि तुम्हारे पास गाँव है
गरीब सही पर सुरक्षित पाँव हैं
ठंड मे ठिठुरते
नंगे पाँव गुब्बारे बेचते
किसी शहरी बचपन को देखो
तो मोल भाव मत करना
इसी उम्र के अपने नौनिहालों को याद करना
उनके लिए शुक्र मनाना
कि तुम्हारे पास बल है बलबूते हैं
उनके पास पाँव हैं
पाँव मे गरम मोज़े हैं,नर्म जूते हैं
ठंड मे ठिठुरते
नंगे पाँव गुब्बारे बेचते
किसी शहरी बचपन को देखो
तो मोल भाव मत करना
हो सके तो इतना मोल चुकाना
की इन पाँवों को ठिकाना
मिले न भी मिले पर ये ,
ज़ख़्मों के लिए मलहम तो खरीद ही पाएँ
ठंड में ठिठुरें पर पाँव चलते तो चले जाएँ
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
मान्य अनामिका जी तथा डा0 विजय जी
धन्यवाद स्वीकार करें ॥स्नेह बनाए रखे
सादर
अमिता
संवेदनशील रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये , सादर ।
इतना मोल चुकाना की/कि....
आदरणीय सुश्री अमिता तिवारी जी , मार्मिक रचना के लिए बधाई , सादर
जनाब कबीर साहब
आपकी हिम्मतफ्जाई के लिए शुक्रिया
सादर
अमिता
मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।
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