For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे गम के निशानों को यहाँ पर कौन समझे

तेरे सच्चे बयानों को यहाँ पर कौन समझेगा,
तेरे गम के निशानों को यहाँ पर कौन समझेगा?

यहाँ महलों से होती हैं हमेशा बात की कोशिश,
बता कच्चे मकानों को यहाँ पर कौन समझेगा।

हुई है कीमती नफ़रत, बनी व्यापार का सौदा,
मुहब्बत के ठिकानों को यहाँ पर कौन समझेगा।

बदलते पक्ष ये झट-से, फिसलते एक बोटी पर,
अडिग रह लें, उन आनों को यहाँ पर कौन समझेगा।

जिन्होंने 'बाल' सोचा था करें कुछ देश की खातिर,
शहीदों को व जानों को यहाँ पर कौन समझेगा।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 10, 2021 at 7:50am

आ. भाई सतविंद्र जी , सादर अभिवादन । उत्तम गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 10, 2021 at 7:25am

जी, आदरणीय बृजेश भाई ऐसे किया जा सकताहै।सादर आभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 9, 2021 at 9:46pm

तब ठीक है लेकिन सौदा की जगह साधन भी किया जा सकता है...सादर

"बनी व्यापार का साधन"

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 5, 2021 at 3:04pm

आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए बहुत-बहुत आभार। यहाँ पर को रहने देते हैं, ताकि कोई और पाठक इसे पढ़े तो आपका मशवरा भी।ध्यान आये। मैं इसे ठीक कर लेता हूँ। आगे भी इस बात का ध्यान रखा जाएगा।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 5, 2021 at 3:01pm

आदरणीय बृजेश भाई जी, सादर आभार। बनी व्यापार का सौदा,  नफ़रत के बारे में ही कहा है कि यह कुछ लोगों के लिए व्यापार बन गयी है। सौदा पंजाबी में वस्तु को भी कह लेते हैं, खरीद-बेच की क्रिया को भी कहते हैं। इसलिए व्यापार और सौदा समानार्थी भी मालूम होते हैं। मैनें यहाँ सौदा- सामान (वस्तु) अर्थ लिया है। सादर

Comment by Samar kabeer on April 3, 2021 at 7:26pm

जनाब सतविन्द्र कुमार राणा जी आदाब, 'यहाँ' शब्द के साथ 'पर' का प्रयोग उचित नहीं होता,इस हिसाब से अपनी रदीफ़ पर ग़ौर करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 1, 2021 at 8:45pm

आदरणीय सतविंद्र जी बढ़िया कहा बधाई...तीसरे शे'र के उला में "बनी व्यापार का सौदा"

ये कुछ समझ नहीं आ रहा।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on March 28, 2021 at 7:00am

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी, सादर नमन सह आभारं

Comment by मोहन बेगोवाल on March 27, 2021 at 7:46am
ऐसी भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई हो।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service