For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1212, 1122, 1212, 22

1)वो ऐसे लोग जो दुनिया से तेरी ग़ाफ़िल हैं
मेरी नज़र में वही आज सबसे आक़िल हैं

2)ये उसके सामने इक़रार करना चाहता हूँ
रक़ीब सारे मेरी जान मुझसे क़ाबिल हैं

3) हमारे मुल्क में है मसअला यही इक बस
पढ़े लिखे भी बहुत से यहाँ के जाहिल हैं

4)हकीम बेबसी मँहगी दवा सियासतदाँ
यही हैं वो जो मेरी ज़िन्दगी के क़ातिल हैं

5)मैं जिनके वास्ते दुनिया से लड़ने निकला हूँ
वो दुश्मनो की सफ़ो में हैं और मुक़ाबिल हैं

6)"अनीस " क्या दें हम इल्ज़ाम इस ज़माने को
हम इस के साथ तबाही में अपनी शामिल हैं

मौलिक अप्रकाशित 

(अनीस अरमान )

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Md. Anis arman on July 23, 2021 at 7:57pm

जनाब लक्ष्मण धामी साहब ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Md. Anis arman on July 23, 2021 at 7:56pm

जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने और अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2021 at 9:31pm

आ. भाई अनीस जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on July 21, 2021 at 3:16pm

जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Md. Anis arman on July 20, 2021 at 1:05pm

चेतन प्रकाश जी ग़ज़ल तक आने और पसंद करने का बहुत बहुत शुक्रिया, आपके सुझाव पर ग़ौर करूँगा 

Comment by Md. Anis arman on July 20, 2021 at 1:04pm

दीपांजलि दुबे जी ग़ज़ल तक आने और पसंद करने के लिए  बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Chetan Prakash on July 19, 2021 at 8:19am

आदाब, अनीस अमान  कुल ग़ज़ल  अच्छी हुई है, सिवाय,  " वो दुश्मनों  की सबों में हैं और मुकाबिल  हैं",  देखिए  

हैं" का दोहराव  हो  रहा  है ! सादर  !

Comment by Deepanjali Dubey on July 19, 2021 at 2:11am
बेहतरीन ग़ज़ल आदरणीय खूबसूरत अशआर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,होठों को शहद, रस, जाम आदि तो कई बार देखा सुना था लेकिन पहली बार होंठ पे गमले देखने का…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आभार आ. शिज्जू भाई..मंच पर इसी तरह की चर्चा ही उर्जा भर्ती है आभार "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर,आपने मुझे मज़ाक मज़ाक में अब्दुल रज़ाक कर दिया 🤣😂🤣😂🤣😂"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"बहुत खूब, आदरणीय दिनेश कुमार जी. वाह वाह  इस अच्छे प्रयास पर हार्दिक बधाई स्वीकार…"
15 hours ago
Sushil is now a member of Open Books Online
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"क्या खूब कहा आदरणीय निलेश भाई सादर बधाई,   “जो गुज़रेगा इस रचना से ‘नक्की’…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service