For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमने तो देखा बीज न खेतों में डालकर -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२


शीशा भी लाया आज वो लोहे में ढालकर
बोलो करोगे आप  क्या पत्थर उछाल कर।१।
*
जिन्दा ही दफ्न सत्य जो कल था किया गया
लानत समय  ने  आज  दी  मुर्दा  निकालकर।२।
*
वो बिक  गयी  है  वस्तु  सी  बेहाल भूख से
अब क्या रखोगे बोलिए उस को सँभालकर।३।
*
केवल किसान  जानता  मौसम की मार को
हम ने तो  देखा  बीज  न  खेतों  में डालकर।४।
*
रोटी का मोल  जानते  बचपन  से ही बहुत
माँ ने  खिलाया  खूब  है  पानी  उबालकर।५।
*
काँटों को रखता तेज है उनका स्वभाव ही
तीखे किये वो किसने भला छील छालकर।६।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2021 at 5:45am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,

उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2021 at 5:44am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Samar kabeer on August 3, 2021 at 3:13pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'अब क्या रखोगे बोलिए उस को सँभालकर'

इस मिसरे में 'रखोगे' को "रखेंगे" करना उचित होगा ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 1, 2021 at 11:07pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर जनाब चेतन प्रकाश जी का इशारा कदाचित शुतरगुरबा दोष के भ्रम की तरफ़ है। यदि उचित लगे तो मतले का ऊला यूँ कर सकते हैं -

'शीशा भी लाए आज हम लोहे में ढालकर'   सानी में 'करोगे' को करेंगे करना उचित होगा।

तीसरे शे'र में' रखोगे' को 'रखेंगे' करना उचित होगा।  (कलाम की नफ़ासत और ज़बान की सलासत और शाईस्तगी के ऐतबार से)  सादर।

Comment by Chetan Prakash on August 1, 2021 at 12:46pm

ओ के, जनाब, मुसाफ़िर, आपकी ग़ज़ल आपकी नज़र, आदाब  ! 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2021 at 10:56am

आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति और स्नेह से मन हर्षित है । हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2021 at 10:50am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । मतले में दो अलग अलग व्यक्तियों को सम्बोधित किया गया है एक शीशे वाले को और दूसरा पत्थर मारने वाले को इस तथ्य पर गौर कीजिएगा , रब्त नजर आ जायेगी । सादर..

Comment by Rachna Bhatia on August 1, 2021 at 7:27am

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई नमस्कार। अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई।

Comment by Chetan Prakash on August 1, 2021 at 7:12am

आदाब,, आदरणीय भाई,  लक्ष्मण सिंह मुसाफ़िर., शुभ प्रभात  ! मतले में रब्त न होने की वज़ह, मुझे इसलिए प्रतीत हुई कि ऊला 'वो' को समर्पित है, और, बंधु, 'आप' को  ! 'वो', तृतीय पुरुष,  एक वचन है, जब कि भाई, 'आप' द्वितीय पुरुष और एक वचन अथवा बहुवचन दोनों हो सकता है  !  मतला ऐसे लगता है, जैसे दोमुंहा सांप  ! सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 31, 2021 at 11:46pm

आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।

मतले में किस वजह से रब्त नजर नहीं आ रहा, बताने की क्रिपा करें जिससे सुधार किया जा सके । क्योंकि मेरे हिसाब से तो सब ठीक है ।

बाँकी पानी को उबालकर खिलाना इसलिए लिखा है क्योंकि निर्धन माँ फाके की स्थिति में अबोध बच्चों को पानी उबालकर ही भात पकने की झूठी तसल्ली दे देकर कई बार सुला देती है । यदि आपको अटपटा लग रहा हो तो खू है के स्थान पर "भात सा" पढ़ सकते हैं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service