For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह भूला-बिसरा पत्र ...तुम्हारे लिए

तेरे स्नेह के आंचल की छाँह तले

पल रहा अविरल कैसा ख़याल है यह

कि रिश्ते की हर मुस्कान को

या ज़िन्दगी की शराफ़त को

प्यार के अलफ़ाज़ से

क़लम में पिरो लिया है,

और फिर सी दिया है... कि

भूले से भी कहीं-कभी

इस रिश्ते की पावन

मासूम बखिया न उधड़े

और फिर कस दिया है उसे

कि उसमें कभी भी अचानक

वक़्त का कोई

झोल न पड़ जाए।

 

सुखी रहो, सुखी रहो, सुखी रहो

हर साँस हर धड़कन दुहराए

स्नेह का यही एक ही आलाप ....

 

कि हो अब जैसे

यह मेरा एकमात्र मक़सद ही नहीं

संध्या-आरती में

प्यार का वह आलाप,

और उससे पल्ल्वित यह राग

मेरा मज़हब बन जाए

कुछ ऐसे कि अब हमारे बीच

कोई अपूर्णताएँ भी

कभी के बहे आँसुओं को बटोर कर

स्नेह का सागर बन जाएँ

और इस पर भी यदि उठे कोई वेदना

तो चूम लें हम स्नेहिल अधरो से उसको

प्यार का मज़हब हमारा उसी पल

सनातन हो जाए

 

झंकृत हो उठें मेरी अक्षमताएँ भी

अंतिम साँस तक दुहराते

उसी एक आलाप को

कि तुमको सुख मिले, बहुत सुख मिले

मेरे "प्यार", मेरे "प्राण-रत्न"

मेरे बाद तुम बहुत दिन जीना

रोना नहीं

तब मेरे इन गीतों को पढ़ना

और फिर भी अगर आँख नम हो जाए

तो खीँच देना कुछ लकीरें

गीली रेत में

         -----

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1232

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 4:51pm

आदरणीया अंजुमन जी, सराहना के लिए आभारी हूँ।

Comment by vijay nikore on December 5, 2021 at 4:50pm

प्रिय मित्र अरुण जी, आप कविता में लिखी मेरी भावनाओं के मर्म तक पहुँचे, यह वही कर सकता है जो स्वयं अच्छा लेखक और पाठक हो।आभारी हूँ।

Comment by DR ARUN KUMAR SHASTRI on November 9, 2021 at 7:52pm

भाई विजय जी , आपके लेखन में भावनाओ का उत्तम सामन्जस्य दीख पड़ता है मुझे , प्रेम को आपने करीब से देखा है व अपनत्व को खुल् के जिया है , मुझे आपकी ये रचना बहुत पसन्द आई | 

Comment by Anjuman Mansury 'Arzoo' on November 3, 2021 at 10:59am

आदरणीय विजय जी आदाब, बहुत ही खूबसूरत रचना, हार्दिक बधाई

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2021 at 4:01pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन सृजन पढ़ने को मिला,, बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 10, 2021 at 9:34am

अहा...आदणीय विजय जी...जबरजस्त...और कविता की पूर्णता जब पढ़ते हुए रोम झंकृत हो उठें...और अंतिम कुछ पंक्तियों ने रोम झंकृत कर दिए...बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2021 at 2:42pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on September 30, 2021 at 4:24pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी रचना पढने का मौक़ा मिला है i

हमेशा कि तरह एक शानदार रचना से आपने मंच को नवाज़ा है, इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिली मुबारकबाद पेश करता हूँ I 

कुछ टंकण त्रुतियों की तरफ़ आपका ध्यान दिलाना चाहूँगा :-

'मेरी "प्यार", मेरी "प्राण-रत्न"----''मेरे प्यार मेरे प्राण रत्न"

खयाल --"ख़याल"

कलम --"क़लम"

बखिया -"बख़िया"

वक्त--"वक़्त"

मकसद --"मक़सद"

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरने लक्ष्मण भाई , एक अच्छी  ग़ज़ल के लिए बधाई  |"
4 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
37 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service