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तो रो दिया .......

मौन की गहन कंदराओं में
मैनें मेरी मैं को
पश्चाताप की धूप में
विक्षिप्त तड़पते देखा
तो रो दिया ।

खामोशी के दरिया पर
मैंने मेरी मैं को
तन्हा समय की नाव पर
अपराध बोध से ग्रसित
तिमिर में लीन तीर की कामना में लिप्त
व्यथित देखा
तो रो दिया

क्रोध के अग्नि कुण्ड में
स्वार्थघृत की आहूति से परिणामों को
जब धू- धू कर जलते देखा
तो रो दिया

सच , क्रोध की सुनामी के बाद जब
तबाही का मंजर देखा
तो साथ मेरे
मेरा मैं भी रो दिया ।

सुशील सरना / 30-9-21
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 873

Comment

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Comment by Sushil Sarna on October 1, 2021 at 1:18pm
आदरणीय अमन सिन्हा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by AMAN SINHA on October 1, 2021 at 11:25am

आदरणिय सुशिल जी,

अति सुंदर रचना के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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