2122 2122 2122 212
नफ़रतों की आग भड़की भाईचारा जल उठा
ख़ौफ़ इतना है कि दरिया का किनारा जल उठा
Comment
उचित है आदरणीय समर कबीर जी...रोजमर्रा बोले जाने वाले बहुत शब्द हैं जो हम गलत उच्चारण करते हैं...इसलिए ये कमियां रह जाती हैं।
लेकिन ओबीओ पे आप हैं बताने के लिए...उसके लिए आपका धन्यवाद...लेकिन अगर 'हद्द' 21 भी लें तो 'एक हद्द' को 212 पढा जा सकता है न??
जनाब बृजेश कुमार जी आदाब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I
'वहशियों ने वहशतों की तोड़ दी हर एक हद'
आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि इस मिसरे में सहीह शब्द "हद्द" 21 है ,देखिएगा I
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