For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी तो पढ़ेगा वो संसार घर हैं - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२
*
सियासत को आता है तलवार पढ़ना
उसे भी सिखाओ तनिक प्यार पढ़ना।।
*
किसी दिन सभी कुछ यहाँ फूक देगा
सिखाओ न अब तुम ये अंगार पढ़ना।।
*
वही झूठ हर  दिन  वही  दुख भरा है
सुखद कब लगेगा ये अखबार पढ़ना।।
*
शिखर खोजते है बहुत लोग लेकिन
किसी को न भाता है  आधार पढ़ना।।
*
कभी  तो  पढ़ेगा  वो  संसार  घर हैं
जिसे आ गया घर को संसार पढ़ना।।
*
जमाने को अच्छा अगर कर न पाये
समझ लो हुआ सबका बेकार पढ़ना।।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2022 at 3:17am

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 10, 2022 at 6:05pm

बढ़िया बहुत बढ़िया आदरणीय धामी जी...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2022 at 6:45am

आ. भाई इन्द्रविद्यावाचस्पति जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by indravidyavachaspatitiwari on July 3, 2022 at 4:55am
जमाने को अच्छा अगर कर न पाये, ग़ज़ल के लिए धन्यवाद।करता कहना।काश सभी ऐसा सोचते?
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2022 at 8:05pm

आ. भाई गुमनाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 1, 2022 at 1:53pm

वाह मुसाफिर साहब खूब गजल हुई है । बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2022 at 11:00am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति, प्रशंसा व स्नेह के लिए आभार। टंकण त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।

Comment by Chetan Prakash on July 1, 2022 at 9:40am

मुतदारिक मुसम्मन सालिम  न कि जैसा  कि की बोर्ड की शरारत  से लिखा गया  है, आदरणीय   !

Comment by Chetan Prakash on July 1, 2022 at 9:37am

आदाब,  जनाब,  'मुसाफिर' साहब  मुताबिक मुसाफिर सालिम  ( 122   122   122   122 ) मे अच्छी गज़ल हुई  । सही शब्द  "फूँक  है, आप  चन्द्र बिन्दु लगाना भूल गये  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छी कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।  दुर्वयस्न को दुर्व्यसन…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रोला छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Thursday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service