For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कब तक झुट्टे को पूजोगे (ग़ज़ल)

बह्र : 22 22 22 22

जब तक पैसे को पूजोगे

चोर लुटेरे को पूजोगे

जल्दी सोकर सुबह उठोगे 

तभी सवेरे को पूजोगे

खोलो अपनी आँखें वरना

सदा अँधेरे को पूजोगे

नहीं पढ़ोगे वीर भगत को

तुम बस पुतले को पूजोगे

ईश्वर जाने कब से मृत है

कब तक मुर्दे को पूजोगे

अब तो जान चुके हो सच तुम

कब तक झुट्टे को पूजोगे

----------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 15, 2022 at 11:59pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जयनित जी

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 15, 2022 at 1:16pm

आदरणीय धर्मेन्द जी, उम्दा ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई आपको।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 12, 2022 at 6:52pm

शुक्रिया आदरणीय समर कबीर साहब। आप सही कह रहे हैं ये मिसरा बदलना पड़ेगा। 

Comment by Samar kabeer on September 12, 2022 at 4:52pm

जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें , आपकी ग़ज़ल के क़वाफ़ी दुरुस्त हैं I 

'नहीं पढ़ोगे भगतसिंह को' इस मिसरे पर ध्यान दें,मात्राएँ पूरी हैं लेकिन गेयता नहीं है I 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 8, 2022 at 2:02pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी  साहब आप सही कह रहे हैं ये मिसरा बदलना पड़ेगा

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 8, 2022 at 2:01pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 5, 2022 at 9:52pm

आदरणीय धर्मेंद्र कुमार सिंह जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। 

'मृत्यु हो चुकी है ईश्वर की'  यह मिसरा रवानी में नहीं है, मात्रा गणना आपने कैसे की? 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 4, 2022 at 1:07pm

आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 28, 2022 at 10:37pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, यहाँ ए की मात्रा को हटाने के बाद पैस और लुटेर निरर्थक शब्द बचते हैं इसलिए ईता का दोष नहीं बनता| लुटेरे का ऐरे निकाल दें तब भी पैस तो निरर्थक ही रहेगा इसलिए भी ईता नहीं बनता| अर्थात यहाँ किसी प्रकार से ईता नहीं बनता| आप कुछ और बताना चाहते हैं तो स्पष्ट करें|

Comment by Chetan Prakash on August 28, 2022 at 7:37pm
प्रिय भाई, आपको कहीं भटकने की आवश्यकता नहीं, आप अपने मतले पर फोकस रख क्वारी निश्चित करें और जो स्थापित मान्यता काफिया तय करने के सम्बन्ध में है, मैं आपको बता चुका हूँ! आप माने तो ठीक, नहीं मानते हैं, मुझे कोई ज़िद नहीं है! हाँ, जिस तरह आपने अपनी गज़ल में क्वाफी निर्धारित किए हैं, ईता दोष गज़ल में हो गया है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service