For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . .

दशहरा पर्व पर कुछ दोहे. . . .

सदियों से लंकेश का, जलता दम्भ  प्रतीक ।
मिटी नहीं पर आज तक, बैर भाव की लीक।।

सीता ढूँढे राम को, गली-गली में  आज ।
लूट रहे हर मोड़ पर, देखो रावण लाज ।।

 मन के रावण के लिए, बन जाओ तुम राम।
अंतस को पावन करो,हृदय बने श्री धाम।।

कहते हैं रावण बड़ा, जग में था विद्वान ।
पर नारी के मोह ने, छीनी उसकी जान ।।

माँ सीता का कर हरण, इठलाया  लंकेश ।
मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति अवधेश ।।

सुशील सरना / 5-10-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 277

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 13, 2022 at 12:15pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Samar kabeer on October 7, 2022 at 11:32am

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on October 6, 2022 at 9:54pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने और अपना अमूल्य सुझाव देने का दिल से आभार । बहुत सुंदर सुझाव । हार्दिक आभार सर ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 5, 2022 at 9:01pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। समयानुकूल सुन्दर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। 

इस दोहे को ऐसा करने से प्रासंगिकता और बढ़ जायेगी विचार करें-

माँ सीता  का  कर हरण , इठलाया लंकेश ।
मिटा दिया फिर राम ने, लंकापति अवधेश 

Comment by Sushil Sarna on October 5, 2022 at 7:34pm
आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर प्रणाम सर सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।सर दूर चला लंकेश कैसा रहेगा
Comment by Chetan Prakash on October 5, 2022 at 4:38pm

नमस्कार,  भाई  सुशील सरना, सभी  दोहे  अच्छे  लगे, किन्तु  पाँचवे  दोहे के  दूसरे चरण में प्रवाह बाधित हुआ है, इसे"  चला चले  लंकेश "  यदि आप  कर लें, दोष दूर  हो जाएगा  ! इति ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

munish tanha replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"चुपके से याद आ कोई सहला गई मुझेमहबूब ये शराब तो बहका गई मुझे वाहेगुरु मुआफ़ करे आपकी खताइक सोच सिर्फ…"
1 hour ago
munish tanha replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"चुपके से याद आ कोई सहला गई मुझे महबूब ये शराब तो बहका गई मुझे वाहेगुरु मुआफ़ करे आपकी खता इक सोच…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"देखा जो ध्यान से उसे वो भा गई मुझे चलना था साथ- साथ ही जतला गई मुझे थी ख़ानदानी जन्म से समझा गई…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर ख़ूबसूरत मक़्ते के साथ ग़ज़ल मुकम्मल हुई है, "फिर से…"
2 hours ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"सुप्रभात सर्।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"अपनी ही रौशनी में वो नहला गई मुझे  इक चाँदनी थी चाँद-सा चमका गई मुझे  काँधे पे मेरे…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।  इतनी सी बात थी कि…"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"उस्ताद-ए-मुहतरम आदरणीय समर कबीर साहिब को मेरा सादर चरणस्पर्श "
10 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"221 2121 1221 212 फिर से गुनाहगार वो ठहरा गई मुझे क्या जाने किस की आह थी जो खा गई मुझे /1 इतनी सी…"
11 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"स्वागत है"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"स्वागतम"
11 hours ago
Euphonic Amit commented on Balram Dhakar's blog post ग़ज़ल: अगर कोशिश करेंगे आबोदाना मिल ही जाएगा।
"आदरणीय बलराम धाकड़ जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है।  कुछ बिंदुओं से अवगत करवाना…"
11 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service